udaipur. समता शिरोमणि आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने कहा कि संयम के बिना जीवन अधूरा है ठीक उसी प्रकार जैसे बिना ब्रेक के गाड़ी चलाना धोखा है। संयम के बिना मुक्ति नहीं मिलती। संयम के लिए यह मनुष्य भव एक अनुपम मौका है।
वे आज हिरण मगरी से.11 स्थित आदिनाथ भवन में पर्युषण पर्व के दौरान संयम विषय पर प्रवचन दे रहे थे। उन्होनें कहा कि संयम दो प्रकार के प्राणी व इन्द्रिय होते है। षट्काय जीवों की रक्षा करना प्राणी तथा पांच इन्द्रिय और मन को वश में करना इन्द्रिय संयम कहलाता है। जिस प्रकार फूल के बिना सुरभि और दीप के बिना ज्योति नहीं होती ठीक उसी प्रकार बिना संयम के आत्मा की अनुभूति नहीं होती। जिस प्रकार बेल को ऊपर चढऩे के लिए बंधन ही पर्याप्त है,उसी प्रकार आत्मा को आगे बढऩे संयम का नियमित होना आवश्यक है। अपने आप पर नियंत्रण करना उत्तम संयम कहलाता है। संयमी जीव सदा सुखी व अनुशासन में रहता है।
इससे पूर्व 15 तपस्वियों ने उपवास हेतु श्रीफल चढ़ाये। इन सभी की तपाराधना निर्विध्नपूर्वक निर्बाध गति से चल रही है। रात्रि को सागवाड़ा पार्टी द्वारा म्यूजिकल हाऊजी का कार्यक्रम आयोजित किया गया। सभी तपस्वियों की कुशलक्षेम पूछने के लिए सैकड़ो यात्री प्रतिदिन बाहर से आ रहे हैं।