होगा 225 तपस्वियों का सम्मान
udaipur. दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं एक वे जो सकारात्मक सोच रखते हैं और दूसरे वे जो नकारात्मक सोच रखते हैं। जो सकारात्मक सोच रखते हैं उनका साथ हर व्यक्ति देता है, सभी लोग उससे सौहार्द्र व सामंजस्य रूप से बर्ताव करते हैं। प्रेम व वात्सल्य भाव बनाये रखते हैं।
जो लोग नकारात्मक सोच वाले होते हैं उनसे सभी कन्नियां काटने में लगे रहते हैं। उक्त उद्गार आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में आयोजित चातुर्मासिक धर्मसभा में व्यक्त किये।
आचार्य ने कहा कि नकारात्मक सोच हमेशा ही दुखदायी होती है स्वयं के लिए भी और दूसरों के लिए भी। ऐसी सोच वालों का कोई भी साथ देना पसन्द नहीं करता है स्वयं प्रकृति भी उसका साथ छोड़ देती है। यही नहीं लक्ष्मी और किस्मत भी धीरे- धीरे उससे रूठ जाती है। इसलिए जरूरी है मोक्ष मार्ग पर कदम बढ़ाने से पहले अपनी सोच को सकारात्मक बनाना चाहिये। पोजीटिव थिंकिंग वाला मनुष्य ही दुनिया में सुखी रह सकता है। चाहे उस पर कितने ही संकट आये वह हंसते- हंसते सहन कर लेता है। धर्मसभा से पूर्व औरंगाबाद, कलकत्ता, गुवाहाटी, अहमदाबाद, सागवाड़ा, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और भीलवाड़ा आदि क्षेत्रों से आये मेहमानों का अभिनन्दन किया गया।
ट्रस्ट अध्यक्ष भंवरलाल मुण्डलिया और चातुर्मास समिति के महामंत्री प्रमेद चौधरी ने बताया कि 7 अक्टूबर को सुबह सभी तपस्वियों का सम्मान किया जाएगा। सोमवार 8 अक्टूबर से रत्नकरण्डक श्रावकाचार प्रशिक्षण शिविर का आोजन प्रारम्भ होगा। 12 व 13 अक्टूबर को रत्नकरण्डक श्रावकाचार शिविर की परीक्षाएं होंगी। 7 अक्टूबर को सभी तपस्वियों को शाल- पगड़ी, मोमेण्टो- माला आदि मंगल सामग्री द्वारा भव्य स्वागत और अभिनन्दन किया जाएगा।