राजस्थानी को मिलनी चाहिए मान्यता
udaipur. राजस्थानी भाषा की मान्यता का सवाल राजस्थान एवं राजस्थानीयों के अस्तित्व का सवाल है। ये विचार व्यक्त करते हुए अकादमी अध्यक्ष श्याम महर्षि ने संभागस्तरीय राजस्थानी साहित्यकार सम्मेलन के समापन समारोह में व्यक्त किए।
महर्षि ने कहा कि राजस्थानी भाषा लेखकों को दिये जाने वाले पुरूस्कारों की राशि बढ़ाई गई है। पुरूस्कार 15000 के थे, उनकी राशि 51000 एवं जो महाकवि सूर्यमल मीसण शिखर पुरूस्कार 25 से 71000 एवं महाकवि पृथ्वीराज राठौड़ पुरूस्कार की राशि 51 हजार से बढ़ाकर एक लाख की गई है।
मुख्य अतिथि डा. देव कोठारी ने राजस्थानी में लिखने की जरूरत बताई। मूंघा पामणा प्रो. ओंकारसिंह राठौड़ ने कहा कि राजस्थानी अत्यन्त मिठास एवं सम्मान के भाव की भाषा है। हमारी पीढ़ीयों का लोक शिक्षण राजस्थानी भाषा में हुआ है। ऐसी सुन्दर भाषा की संवेधानिक मान्यता आवश्यक है। प्रो. राठौड़ ने मीरा बाई, गुमनाम सिंह, बावजी चतुरसिंह इत्यादि की लम्बी परम्परा उदाहरणों सहित समझाई। सत्र का संचालन डा. राजेन्द्र बारहठ ने किया तथा धन्यवाद की रस्म ट्रस्ट सचिव नंदकिशोर शर्मा द्वारा अदा की गई। इस अवसर पर अकादमी अध्यक्ष श्याम महर्षि, अकादमी सचिव पृथ्वीराज रत्नू, गांधी मानव कल्याण सोसायटी के ललित नागदा, मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के नितेश सिंह कच्छावा तथा राजस्थानी भाषा संघर्ष समिती के महासचिव डा. राजेन्द्र बारहठ को शॉल ओढ़ा कर दो दिवसीय सम्मेलन के सफल आयोजन हेतु सम्मानित किया।
‘आजादी रै पछै री आधुनिक राजस्थानी में उदैपुर संभाग री पद्य लेखन परम्परा’ विषयक डा. अरविन्द आशिया ने पत्रवाचन किया। इसी तरह से ‘उदैपुर संभाग में राजस्थानी अनुवाद री परम्परा’ विषयक पत्रवाचन डा. इन्द्रप्रकाश श्रीमाली ने किया। नाथद्वारा के माधव नागदा ने ‘उदैपुर संभाग रौ आधुनिक राजस्थानी गद्य लेखन’ विषयक पत्र वाचन किया। परचा सत्र के पाटवी प्रो. सत्यनारायण व्यास ने कहा कि राजस्थानी भाषा साहित्य का इतिहास राजस्थानी में लिखा जाना चाहिए। राजस्थानी हिन्दी से प्राचीन भाषा है। सत्र की अध्यक्षता डा. भगवती लाल व्यास ने की। खास पामणा डा. जयप्रकाश पण्ड्या ‘ज्योतिपुंज’ एवं डा. महेन्द्र भाणावत थे।
दो दिवसीय सम्मेलन में रात्रि को आयोजित कवि सम्मेलन का आगाज डा. राजेन्द्र बारहठ की वाणी वन्दना से हुआ तथा रामसिंह सान्दू कपासन, बनवारीलाल पारीख फतेहनगर, सोहनलाल चोधरी चित्तोड़गढ़, मनोहरसिंह आशिया राजसमन्द, डा. अरविन्द आशिया, जगदीश तिवारी, शिवदान सिंह, कैलाशसिंह जाड़ावत शाहपूरा, राधेश्याम मेवाड़ी बेंगू तथा मुराद मेवाड़ी ने कविता पाठ कर भरपूर तालियां बटोरी। प्रसिद्व शायर डा. प्रेम भण्डारी, कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि एवं प्रसार भारती के उपमहानिदेशक माणिक आर्य ने अध्यक्षता की। कवि सम्मेलन का संचालन हिम्मतसिंह उज्जवल ने किया।