पं. चतुरलाल स्मृति सोसायटी का कार्यक्रम ‘स्मृतियां’
udaipur. शरद पूर्णिमा के चमकते धवल चांद तले शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच पर जब परवान चढ़ती गुलाबी ठंडक के बीच प्रख्यात बांसुरी वादक रोनू मजूमदार और ग्रेमी अवार्ड विजेता पं. विश्व मोहन भट्ट ने मोहन वीणा पर अपने तार छेड़े तो कला रसिक श्रोता खुद को तालियां बजाने से नहीं रोक पाए।
मौका था पं. चतुरलाल स्मृति सोसायटी की ओर से आयोजित कार्यक्रम स्मृतियां का। इसका आयोजन वेदांता हिन्दुंस्तामन जिंक लिमिटेड के साझे में किया गया था। आधे घंटे देरी से शुरू हुए कार्यक्रम में मजूमदार ने राग रागेश्व री के आलाप से कार्यक्रम का आगाज किया। आलाप, जोड़ और झाले के बाद बंदिशों पर श्रोता झूमने को मजबूर हो गए। करीब पौन घंटे से अधिक बांसुरी वादन पर रोनू ने तिगुन के प्रकारों को पेश किया। पहाड़ी राग की बंदिश सुनकर सभी मंत्रमुग्ध थे। रोनू ने खुद की बनाई शंख बांसुरी सहित विभिन्न लम्बाई वाली बांसुरियों के माध्यमम से जादू जगाया।
ढोलक, खड़ताल, कमाचये के बीच मोहन वीणा के सधे हुए सुरों ने भी श्रोताओं के दिलों में जगह बनाई। पं. भट्ट ने मांगणियार दल के साथ शास्त्री य के साथ लोक संगीत का फ्यूजन पेश किया। इस फ्यूजन के लिए जिमा अवार्ड लेने वाले पं. भट्ट ने शहर में पहली बार इसकी प्रस्तुति दी। केसरिया बालम से शुरू हुई सरिता में झिरमिर बरसे मेह, हेलो सुणो रे रामा पीर, गोरबंद नखराळो, तारा री चुंदड़ी आदि लोकगीतों के बीच मोहन वीणा के झनकृत तारों ने श्रोताओं को अपने हाथ खोलने पर मजबूर कर दिया। तबला वादन पृथ्वी राज मिश्रा ने किया। कमायचा पर संगत घेवर खां ने की।