वहां से निकाले, यहां पहुंच गए
गुजरात से निकाले गए उदयपुर में लग गए पायरोलिसिस प्लान्ट
udaipur. रीको, प्रदूषण नियंत्रण मण्डल व जिला औद्योगिक केन्द्र ने मिलकर शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर कलड़वास औद्योगिक क्षेत्र में वेस्ट टायरों से फ्रेश रबर ऑयल निकालने हेतु लगने वाले पायरोलिसिस प्लान्ट लगाने की अनुमति दे दी है।
उल्लेवखनीय है कि इन्हें गुजरात सरकार ने वहां के वायुमंडल को प्रदूषित करने के आरोप में निष्काासित कर दिया था। इधर राजस्था न सरकार ने न केवल अनुमति दे दी मानो प्रदूषण फैलाने का लाइसेंस दे दिया। अब तक एक प्लान्ट लग चुका है और जल्दद ही यहां दो और प्लान्ट लगाने के लिए दो प्लॉट आंवटित कर दिये गए हैं। सूत्रों के अनुसार शहर में गत 10 वर्षों में रीको ने किसी भी तरह के केमिकल उद्योग को भू आवंटन एंव पंजीयन पर रोक के तहत किसी को कोई भू आवंटन नहीं किया था। बावजूद इसके नियमों का तोड़ निकालकर उद्योगपतियों ने भू आवंटन करवा लिए और प्लांजट भी लगा दिया।
रीको के मानक : प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के मानकों के आधार पर पायरोलिसिस प्लान्ट कम से कम 5000 मीटर के भूखण्ड पर लगना चाहिए लेकिन प्रदूषण नियंत्रण मण्डल ने नये प्लान्ट मात्र 1500 मीटर के भूखण्ड पर लगाने की स्वीकृति दे दी जो मण्डल के मानकों पर प्रश्र चिन्ह लगाती है। ऐसे उद्योग कलड़वास औद्योगिक क्षेत्र के अलावा अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में 2 वर्षों में 5 प्लान्ट लग गए हैं।
जानकारों के अनुसार रीको व प्रदूषण नियंत्रण मण्डल ने करीब 40 फाइलों को एनओसी दी है जो मापदण्डों पर खरे नहीं उतर रहे है। आबूरोड़ में लग चुके पायरोलिसिस प्लान्ट से आसपास क्षेत्र के उद्यमी निकलने वाले धुएं व प्रदूषण से त्रस्त हो चुके हैं। अहमदाबाद के प्रदुषण निंयत्रण मण्डल ने 80 पायरोलिसिस प्लान्ट को क्लोजऱ नोटिस दिये है। इनके अलावा सूरत के वे 45 प्लान्ट भी जो मण्डल के मानकों पर खरे नहीं उतरे थे। अब वे सभी प्लान्ट अब तक प्रदूषण मुक्त रहे राजस्थान को प्रदुषित करने यहां आ रहे है।