वेदांता समूह के चेयरमैन को इकोनोमिक टाइम्स बिजनेस लीडर ऑफ द ईयर-2012 अवार्ड
प्रधानमंत्री ने प्रदान किया अवार्ड
udaipur. वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि एक लाख करोड़ रुपए की भारत में हमारी निवेश योजना से हमारा देश ऊर्जा, खनिज एवं धातु में आत्मरनिर्भर बनेगा। अग्रवाल ने कहा कि भारत के लिए ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता जरूरी है। हम बाहरी देशों से आयात पर निर्भर क्यों रहें? हम हमेशा तो गरीब नहीं रह सकते।
वे नई दिल्ली में आयोजित अपने सम्मान में समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्हें यह गौरवशाली इकोनॉमिक टाइम्स बिजनेस लीडर ऑफ दी ईयर-2012 पुरस्कार प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने एक गरिमामय समारोह में प्रदान किया। अग्रवाल ने कहा कि भारत तेल, गैस, सोना, चांदी, उर्वरक, कोयला तथा अयस्क सान्द्र का प्रमुख उपभोक्ता है। सौभाग्य से भारत में इन प्राकृतिक संपदाओं का प्रचुर भण्डार है परन्तु दुर्भाग्यवश भण्डार अधिकतम अछूता और अविकसित है। इन प्राकृतिक संपदाओं के विकास से तकरीबन 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है जिसका लगभग 60 प्रतिशत सरकार को प्राप्त होगा जो कि सामाजिक उत्थान अथवा विकास की योजनाओं पर लगाया जा सकेगा। यह पहला समूह है जिसने 80 हजार करोड़ रुपए की विदेशी सम्परत्ति अर्जित कर भारत में विनिवेश की है। वेदान्ता भारत का लंदन स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध पहला समूह है। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार अग्रवाल को उनकी अदभुत कार्यनिष्ठा, कार्यप्रणाली, कर्तव्यपरायणता तथा प्राकृतिक संपदा क्षेत्र में विशिष्ट उद्योग विकसित करने के लिए प्रदान किया गया।
केयर्न इंडिया उत्पादन में वृद्धि
हिन्दुस्तान जिंक सेसा गोवा, बालको तथा स्टरलाइट इण्डस्ट्रीज भारत में वेदान्ता समूह की खनिज एवं धातु उत्पादन में प्रभुता दर्शाता है। राजस्थान में ही हिन्दुस्तान जिंक कंपनी ने पिछले 10 सालों में, 2002 में विनिवेश के बाद पांच गुना से अधिक उत्पादन में वृद्धि की है। राजस्थान में हाल ही में केयर्न इण्डिया के अधिग्रहण के बाद तेल उत्पादन में वृद्धि होने लगी है तथा शीघ्र ही उत्पादन 260,000 बैरल प्रतिदिन होने की संभावना है। केयर्न इण्डिया भारत में 20 प्रतिशत तेल उपलब्ध कराता है।
अधिग्रहण
सन् 2000 में जब भारत सरकार ने सरकारी कंपनियों के निजीकरण की बात उठाई तब वेदान्ता ने 2001 में एल्युमीनियम कंपनी भारत एल्यूमीनियम तथा 2002 में हिन्दुस्तान जिंक का अधिग्रहण किया। 2007 में आयरन ओर कंपनी सेसा गोवा तथा 2009 में डेम्पो कंपनी का अधिग्रहण किया। वर्ष 2011 में वेदान्ता समूह ने लाइबेरिया में आयरन कंपनी वेस्टर्न कलस्टर लि. कंपनी का भी अधिग्रहण किया।
जिंक क्षेत्र में अपना उत्पादन बढ़ाने के लिए वेदान्ता समूह ने वर्ष 2010 में नामीबिया, आयरलैण्ड तथा साऊथ अफ्रीका में एंग्लो जिंक की संपत्ति का अधिग्रहण किया। हिन्दुस्तान जिंक अब विश्वे का सबसे बड़ा जस्ता-सीसा उत्पादक है तथा वेदान्ता समूह भारत में एल्युमिनियम, कॉपर, आयरन ओर तथा चांदी का सर्वश्रेष्ठ उत्पादक है। चांदी के क्षेत्र में हिन्दुस्तान जिंक 500 टन प्रतिवर्ष चांदी बनाने की ओर अग्रसर है जिससे वह विश्वे के प्रथम 10 चांदी उत्पादकों में गिना जाएगा। गौरतलब है कि भारत में 6 राज्यों में स्थापित वेदान्ता समूह की कंपनियां उन राज्यों की सबसे बड़ी कंपनी है। इनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, उडीसा, गोवा, तमिलनाडु तथा दादरा नगर हवेली शामिल हैं।
सर्वश्रेष्ठ करदाता
वेदांता समूह भारत में सर्वश्रेष्ठ करदाताओं में भी गिना जाता है। राजकोष में वर्ष 2011-12 में कंपनी ने 22,500 करोड़ रुपए का राजस्व दिया तथा वर्ष 2012-13 में 35,000 करोड़ रु. का राजस्व देने की संभावना है। यही नहीं वर्ष 2011-12 में कंपनी ने 6500 करोड़ रु. का आयकर दिया जो पूरे देश में प्राप्त आयकर का 1.7 प्रतिशत है। अपनी समाज के प्रति जिम्मेदारी को समझ कर वेदान्ता समूह 550 गांवों के 27 लाख लोगों को सामाजिक व आर्थिक सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है। केन्द्र व राज्य सरकारों के सहयोग से आंगनवाडिय़ों द्वारा बच्चों में सुपोषण, महिला सशक्तिकरण, कृषि एवं पशुधन विकास, बेरोजगार युवकों को प्रशिक्षण, गांवों में स्वच्छ पेयजल व्यवस्था जैसी अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में रायपुर में 350 करोड़ रु. की लागत से कैंसर हॉस्पिटल का निर्माण पूरा किया जा रहा है तथा राजस्थान में हार्ट हॉस्पिटल, आसपास के राज्यों के लोगों को भी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करा रहा है।
सादगी से परिपूर्ण अग्रवाल
अग्रवाल परिवार की जड़ें राजस्थान में हैं तथा वे स्वयं बिहार गोरीया टोली में पले बढ़े हैं। प्रारम्भिक शिक्षा अग्रवाल ने मिल्लर हाई स्कूल, पटना में की। 1976 में अपने सपने साकार करने के लिए अग्रवाल मुम्बई आये तथा कठिन परिश्रम, आत्मविश्वा स तथा सादगी से इस 3 लाख 50 हजार करोड़ रु. के उद्योग रत्न की संरचना की। उद्योग जगत में लोग अग्रवाल को मेटल किंग के नाम से जानते हैं परन्तु जो लोग उनके करीबी हैं, वो उन्हें स्वर्ण हृदय का मानते हैं जिन्होंने अपनी अधिकतम संपत्ति समाज के विकास व उत्थान में लगाने का निश्चय किया है।