udaipur. आलोक स्कूल हिरण मगरी, से. 11 में हुई ध्यान सभा में निदेशक डॉ. प्रदीप कुमावत ने कहा कि आदमी शिक्षित तो हो रहा है लेकिन ज्ञानी नहीं बन पा रहा। धीरे-धीरे मनुष्य स्वार्थी बनता चला जा रहा है।
संवेदनाओं को भुलाता जा रहा है। मनुष्यि का अहंकार बढ़ता चला जा रहा है। साथ ही मनुष्य-मनुष्य के मध्य निरंतर दूरियां बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि जिस घर में बुजुर्गों का सम्मान नहीं होता, वहां कभी लक्ष्मी का वास नहीं होता। जीवन में हम कभी भी माता-पिता के ऋण से मुक्त नहीं हो सकते। अत: माता—पिता व बुजुर्गों का सम्मान करना कभी नहीं भूला जाना चाहिये। दूसरों को प्रसन्न देखकर स्वयं को भी प्रसन्न होना सीखना चाहिये।