udaipur. ‘अहं ब्रह्मास्मि’ मैं उतनी ऊंचाइयों तक पहुंच सकता हूं जहां ब्रह्मा का निवास है। मैं अपने विद्यार्थी को भी उतना ही ऊंचा उड़ा सकता हूं। ये विचार बतौर मुख्य अतिथि विद्या भवन संस्थान के निदेशक शिक्षाविद् एम. पी. शर्मा ने निम्बार्क शिक्षक-प्रशिक्षण महाविद्यालय में निम्बार्काचार्य जयंती महोत्सव पर व्यक्त किए।
डा. शर्मा ने कहा कि दर्शन के आचार्यों का अनुसरण करते हुए छात्रों को जीवन की शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। यही शिक्षक व शिक्षा का परम उद्देश्यह है। प्रारंभ में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. सुरेन्द्र द्विवेदी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कि निम्बार्क समन्वयवादी दर्शन है। निम्बार्क दर्शन ने जीवन ब्रह्म दोनों के समान अस्तित्व को स्वीकार करते हुए आत्मतत्व से ब्रह्म को प्राप्त करने को परम लक्ष्य बताया है।
खेमराज पालीवाल ने कहा कि अध्यापक को स्वानुशासन का पालने करते हुए आदर्श जीवन को व्यतीत करते हुए अपने छात्रों को जीवन दर्शन का पाठ पढ़ाना चाहिए। दर्शनाचार्यों का अनुसरण करना चाहिए। निकुंजस्थ मेवाड़ महामण्डेश्ववर महन्त मुरली मनोहर शरण शास्त्री के उत्तरराधिकारी महन्त रासबिहारी शरण ने वन्दना पूर्वक मंगल आशीष प्रेषित किए। इस अवसर पर छात्रों ने विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। धन्यवाद ज्ञापन डा. मधु शर्मा ने किया संयोजन आकांक्षा दुबे ने किया।