सुविवि में महिला पत्रकारिता पर राष्ट्रीय कार्यशाला
Udaipur. पत्रकारिता में महिलाओं के सामने चुनौतियां है तो काम करने के लिए खुला आकाश भी है। ग्लोबलाइजेशन का दौर है यानी थिंक ग्लोबल एक्ट लोकल, यही कथन महिलाओं के लिए पत्रकारिता में संभावनाओं के द्वार खोलती है।
ये तथ्य उभरकर आए राष्ट्रीय कार्यशाला में जो महिला पत्रकारिता की दशा एवं दिशा पर मोहनलाल सुखाडिया विश्ववविद्यालय के पत्रकारिता विभाग एवं महिला अध्ययन केन्द्र के तत्वावधान में आयोजित की गई थी। उद्घाटन समारोह की मुख्यद अतिथि इंडिया टीवी की राजस्था्न प्रमुख संगीता प्रणवेन्द्र ने पत्रकारिता के मौजूदा दौर के कारपोरेटीकरण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हर जगह बाजार का कब्जा है। पत्रकार को वह व्यक्ति समझा जाता है जो विज्ञापन के बाद खाली बची जगह पर खबरें भरता है। उन्होंरने इस पर चिन्ता जताते हुए महिला पत्रकारों से आह्वान किया कि वे दिल की बजाय दिमाग से काम लें और मीडिया में अपने काम से अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएं।
सहारा समय राजस्थान-एनसीआर चैनल की ब्यूथरो प्रमुख डॉ. मीना शर्मा ने महिलाओं के लिए पत्रकारिता पेशा मुश्किलों से भरा बताते हुए कहा कि यह समाज दोहरे चरित्र का है। महिलाओं को आजादी देने के नाम पर पुरुष प्रधान समाज को बहुत कष्टह होता है और आज भी इस पेशे में काम करने वाली महिलाओं को काम से लेकर परिवार तक के कई मार्चों पर अकेले ही संघर्ष करना पडता है। कन्या भ्रूण हत्याक को लेकर किए गए स्टिंग आपरेशन से चर्चा में आई मीना शर्मा ने आमिर खान के सत्ययमेव जयते के पहले एपिसोड में उनके साथ हुई विस्तृत बातचीत के अनुभव भी सुनाए।
वरिष्ठ पत्रकार सुधीर मिश्र ने कहा कि महिलाएं पत्रकारिता में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है तथा हर चुनौती का स्वीकार कर रही है। महिलाओं के लिए क्राइम रिपोटिंग बडी कष्टप्रद बीट मानी जाती है लेकिन उन्हों ने अपनी सहयोगी महिला पत्रकार लकी जैन का जिक्र करते हुए कहा कि स्वयं आगे आकर उसने क्राइम बीट की मांग की और उसके बाद अपनी बीट में बढि़या काम कर के भी दिखाया। उन्होंने महिला पत्रकारों को हिचक छोड कर उन बीट्स पर काम करने को कहा जो आम तौर पर पुरुषों के लिए सुरक्षित मानी जाती है। उन्हों ने कहा कि महिलाओं को साफ्ट बीट छोड कर अन्य बीट पर भी काम करना होगा ताकि वे अपनी प्रतिभा को साबित कर सके।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो आई. वी. त्रिवेदी ने कहा कि यह आयोजन निश्चित तौर पर महिला पत्रकारिता को नई दिशा देगा। उन्हों ने इस तरह के आयोजन सुदूर आदिवासी क्षेत्रों में भी करवाने का सुझाव दिया ताकि शहरी क्षेत्र से निकल कर महिला सशक्तिकरण की चर्चा गांव ढाणी तक पहुं चे। सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के डीन प्रो शरद श्रीवास्तेव ने भी विचार व्यसक्ता किए। महिला अध्यीयन केन्द्री की निदेशक प्रो रेनू जटाना ने सभी का स्वागत किया। पत्रकारिता विभाग के प्रभारी डा कुंजन आचार्य ने संचालन किया। इस अवसर पर पत्रकारिता विभाग के मासिक समाचार पत्र कैम्पीस न्यूाज के नए अंक का लोकार्पण भी किया गया।
दिन में आयोजित तकनीकी सत्रों में पंकज डबास- कुल्लूो, स्मृति पाढी व आशा माथुर- जयपुर, विनोद कुमारी अडानिया मुम्बीई के साथ ही उदयपुर से डा सुधा कावडिया, लकी जैन, तरुश्री शर्मा, शकुन्त ला सरुपरिया, विनीता गौड़, अर्बुदा पंड्या, नुपूर जारोली और प्रीति बया ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। महिला पत्रकारों के प्रति समाज का नजरिया, क्राइम रिपोर्टिंग और महिलाएं, प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रो निक मीडिया में महिलाओं की समस्याजएं तथा चुनौतियां आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई। तकनीकी सत्र के अध्यक्ष उग्रसेन राव ने कहा कि अब हालात बदल गए हैं तथा पत्रकारिता के पेशे में महिलाओं को वे तमाम सहुलियतें मिलने लगी हैं जो एक दशक पहले नहीं थी।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि राजेश कसेरा ने कहा कि पत्रकारों को विश्वसनीय और टिकाऊ होना चाहिए तथा तटस्थ भाव से काम करना चाहिए। भाषा को पत्रकार की आत्मा बताते हुए उन्होंरने भाषा सामर्थ्य विकसित करने का आह्वान किया। महिला पत्रकारों के लिए मीडिया में बेहतर अवसरों का जिक्र करते हुए उन्हों ने कहा कि आज विकल्पों की कमी नहीं है। उम्मीदों का आसमान और विस्ता्र पा रहा है। अपने अनुभवों को छात्रों के साथ बांटते हुए उन्होंने कहा कि नई पीढी के लिए काम करने की सुविधाएं भी है और अवसर भी है, वे गम्भींरता के साथ आगे बढ़ते रहें।