ई फाइलिंग, रिफंड प्रॉब्लम और टाइम बाउंड नहीं होना है कारण
udaipur. बिक्रीकर के प्रावधानों में भी जटिलता की भरमार है। ई फाइलिंग से जहां कई दिनों तक कतारें लगती है, वहीं टाइम बाउंड नहीं होने से नियोक्ता को अत्यधिक पैसा खर्चना पड़ जाता है। यही कारण है कि आज राजस्थान में 1 हजार करोड़ की रिफंड पेंडिंग है। राज्य सरकार को चाहिए कि वे सेल टैक्स के प्रावाधनों को लचीला बनाएं तथा पारदर्शिता के साथ इन करों की व्यवस्था सुनिश्चित करें। यह जानकारी रविवार को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में उभरी।
इस अवसर आए विधि विशेषज्ञों और कर सलाहकारों ने भी इन बिक्री कर, प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष कर आदि में सुधार की मांग की है। विभिन्न मामलों को लेकर प्रस्ताव तैयार किए गए हैं, जो केंद्र व राज्य सरकार को सुझाव सहित प्रेषित की जाएगी। शेयर, केयर और सक्सीड थीम पर आयोजित इस राष्ट्रीय कार्यशाला के मुख्य वक्ता ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टैक्स प्रेक्टिसशनर्स के पूर्व अध्यक्ष एमएल पटौदी थे। रविवार को इस राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन मदनमोहन मालवीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय में हुआ। अध्यक्षता उपायुक्त अपील वाणिज्य एवं कर विभाग के जयंतीलाल जैन ने की। इस दौरान आर्थिक सहयोगकर्ताओं एवं विभिन्न औद्योगिक संस्थानों के प्रतिनिधियों, कांफ्रेंस की कार्यकारी समितियों के संयोजकों का सम्मान कर आभार प्रकट किया गया।
कर सम्मत हो आंकलन : राष्ट्रीय कार्यशाला में एक और प्रमुख तथ्य जो उभर कर सामने आया वो था कर अधिकारियों के आंकलन का तरीका। कार्यशाला में मांग की गई है कर अधिकारियों को कर सम्मत आंकलन किया जाना चाहिए। विधि द्वारा दी गई छूट कर दाताओं को मिलनी चाहिए। इसके अतिरिक्त लागू किए जाने वाले नए नियमों को भी जनता के सामने खुलकर रखना जरुरी है। इससे जनता को भी संबंधित क्षेत्र के दायरे में आने का मालूम चल जाएगा।
गलत और अर्नगल अपील पर लगे अंकुश : सुप्रिम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट एनएम रांका ने कहा कि कर विभाग अनावश्यक और अर्नगल अपील करता है, जो गलत है। इसके चलते कई बार पेंडेंसी इतनी बढ़ जाती है कि उसका निबटारा समय रहते नहीं हो पाता है। इस कारण बार बार अपील से बचना होगा। इससे फायदा यह होगा कि समय रहते कर दाता निश्चित रकम समय रहते सुगमता से जमा करवाने में सक्षम हो सकेंगे। साथ ही कर के रिफंड को भी समय पर मिलने की व्यवस्थाओं को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
यह बनाएं प्रस्ताव : 1. मामलों के त्वरित निबटारे के लिए उच्च न्यायालय में एक बैंच बननी चाएिह जो सिर्फ कर संबंधित मामलों के निबटारे का ही कार्य करें।
2. ई फाइलिंग की व्यवस्था को नए सिरे से तैयार करना होगा। साथ ही उच्च स्तरीय तकनीक को इस्तेमाल करना होगा।
3. प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर के प्रावधानों में आने वाले जटिलताओं को लचीला बनाया जाए।
4. बिक्रीकर के रिफंड की व्यवस्था को सुगम बनाया जाए। ताकि समय रहते करदाता भूगतान कर सकें।
5. अलग अलग मामलों में लगाई जाने वाली पैनाल्टी में संशोधन किया जाए।
6. कर अधिकारियों को चाहिए कि उन्हें विधि सम्मत ज्ञान हो तथा कर दाताओं को भी समझा सके।
7. कर व्यवस्थाओं और अधिकारियों के कार्य करने के रवैये में समय की पाबंदी को जोड़ा जाए, ताकि समय रहते सारे कार्य निबटाए जा सके।