यूं तो पूरे वर्ष में कई बार नववर्ष मनाया जाता है लेकिन अमूमन सामान्य। तौर पर अंग्रेजी कैलेण्डर से शुरू होने वाले जनवरी की 1 तारीख को सभी ने नववर्ष स्वीकार कर लिया है। वही नववर्ष आने में एक दिन बाकी रह गया है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्लक प्रतिपदा से नववर्ष का आगाज होता है इसी दिन से वासंती नवरात्र भी शुरू होते हैं। मुस्लिम समुदाय में नया वर्ष मोहर्रम की पहली तारीख से माना जाता है। मुस्लिम पंचाग की गणना चांद के आधार पर होती है। हिजरी सन के नाम से जाना जाता है। मलयाली समाज में ओणम से नया वर्ष आरंभ माना जाता है। मान्यकता है कि राजा बलि इस दिन प्रजा से मिलने धरती पर आते हैं इसलिए उनके स्वागत में रंगोली बनाई जाती है। इसी प्रकार तमिल नववर्ष पोंगल से आरंभ होता है। यह 14 जनवरी को मनाया जाता है। महाराष्ट्रीयन समाज में गुड़ी पड़वा यानि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्ष का आरंभ माना जाता है। पंजाबी अपना नववर्ष बैसाखी से मनाते हैं। यह त्योहार नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन गिद्दा व भांगड़ा करके खुशियां मनाई जाती हैं। जैन समुदाय दीपावली से भगवान महावीर के निर्वाण दिवस से नया वर्ष मनाते हैं। इसे वीर निर्वाण संवत कहा जाता है। गुजराती समाज दीपावली के अगले दिन परीवा पर नववर्ष मनाता है। बंगाली समुदाय बैसाख मास की पहली तिथि से नववर्ष मनाता है। यह दिन नई फसल कटने और नए बहीखाते आरंभ करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। एक जनवरी ऐसा दिन है जिसे अमूमन सभी समुदायों द्वारा नववर्ष के रूप में मान लिया गया है। सारे सरकारी कार्य और लेखे-जोखे इसी के अनुसार संचालित किए जाते हैं।