Udaipur. विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि अब तक हम डिलीवरी के बाद मां-बच्चे को जोडऩे वाली जिस अम्बलीकल कोर्ड यानि नाल को फेंकते रहे है, वह अनेक असाध्य बीमारियों में जीवन रक्षक के रूप में साबित हुई है। इस कोर्ड में खून से संबंधित बीमारियों थैलीसीमिया, ल्यूकेमिया जैसी असाध्य बीमारियों का इलाज छिपा है।
देश में इन स्टेमसेल को प्रिजर्व करने वाली कंपनी क्रायोबैंक्स इन्टरनेशनल इंडिया प्रा.लि.के एरिया सेल्स मेनेजर शैलेष शर्मा ने कल रोटरी क्लब एलिट द्वारा होटल गोरबन्ध में आयोजित वार्ता मे मुख्य वक्ता के रूप में कही। उन्होंने बताया कि इसके अलावा पार्किन्सन जैसी बीमारी में अम्बलीकल कोर्ड के रक्त में पाये जाने वाले स्टेम सेल के ट्रांसप्लान्ट के पश्चात उसके इलाज में प्रगति देखी गई है। आने वाले वर्षो में इन स्टेमसेल के जरिए डायबिटीज, कैंसर, ह्दय रोग, पक्षाघात जैसी बीमारियों का इलाज संभव हो पायेगा। इन पर खोज जारी है।
कंपनी द्वारा अपने यहां इन स्टेमसेल को माइनस 196 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान पर प्रिजर्व रखा जाता है जो वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। कंपनी उस परिवार से 75 हजार रुपए एक बार या आसान किश्तों में लेकर 3 से 9 माह के बीच 21 वर्ष का अनुबंध करती है जिनसे वह अम्बलीकल कोर्ड ली है। डिलीवरी के बाद 10 मिनिट के अन्तराल में अम्बलीकल कोर्ड ब्लड को प्रिजर्व कर लेता है। भविष्य में उस परिवार में यदि कभी किसी को असाध्य बीमारी होती है तो उस समय ट्रांसप्लान्ट हेतु वे स्टेमसेल दे दिये जाते है। यदि भविष्य में बच्चे व उसके भाई-बहिन कोई बीमारी होती है, जिसका इलाज स्टेमसेल से संभव हो तो कंपनी द्वारा इलाज हेतु 5 लाख रूपया भी दिया जाता है।
शर्मा ने बताया कि वह अम्बलीकल कोर्ड विभिन्न प्रकार की असाध्य बीमारियों के इलाज में सहायक होते है। विश्व में ये स्टेमसेल विभिन्न प्रकार की असाध्य बीमारियों के इलाज में सहायक हो रहे है। विदेश में तो वैज्ञानिकों ने इन स्टेमसेल के जरिए आर्टिफिशियल ह्दय, रेटिना और यहां तक की एक जीवित चूहा तक बना दिया गया। प्रिजर्व किए गए सेल की मात्रा के अनुपात में जीवन में अधिकतम दो बार काम में लिया जा सकता है। भारत में इस क्रायो बैंक्स की स्थापना प्रख्यात ह्दय रोग विशेषज्ञ नरेश त्रेहान के निर्देशन में की। ये स्टेमसेल उस परिवार की निजी सम्पति होते है। देश में स्टेमसेल प्रिजर्व करने हेतु निजी बैंक खेाला गया है जबकि विदेशों में तो सार्वजनिक बैंक तक खोले गये है जहां ईलाज के लिए रोगी उन स्टेमसेल को खरीद सकते है। स्टेम सेल को ट्रांसप्लान्ट करने से पूर्व रोगी व स्टेमसेल के बीच एचएलए टेस्ट कराया जाता है और उसके मैच होने पर ही वे स्टेम सेल ट्रांसप्लान्ट किये जाते है। डायबिटीज रोगियों पर इन स्टेमसेल का प्रयोग किया जा रहा है।
इससे पूर्व क्लब अध्यक्ष आर. के. सिंह ने गैंग रेप पीडि़ता युवती की मौत पर शोक व्यक्त कर श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि सरकार इस मौत से सबक लेगी और महिलाओं की सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था करेगी। बैठक में रमेश मोदी ने शिकार युवती पर स्वरचित कविता का वाचन कर उसे श्रद्धांजलि दी। अंत में सचिव पुनीत सक्सेना ने धन्यवाद दिया। इस अवसर पर यशवन्त मण्डावरा, अशीष चोर्डिया, दिलीपसिंह, रेखा, निधि सक्सेना, रेखा लाहोटी, पूनम सहित अनेक सदस्य उपस्थित थे।