यूथ आइकॉन विवेकानंद जयंती पर भव्य शोभायात्रा
बुरी तरह अस्त-व्यस्त हुआ यातायात
Udaipur. लगा मानों पूरा शहर विवेकानंद मय हो गया। स्वामी विवेकानंद जयंती पर शनिवार सुबह शहर के चार कोनों से ठीक 11 बजे शोभायात्राएं निकलीं जो 12 बजे सूरजपोल चौराहे पर पहुंचकर मिलीं। यहां जो महासंगम हुआ वह अकल्पनीय, अप्रतिम नजारा पेश करने वाला था।
शोभायात्राओं से हालांकि शहर की यातायात व्यवस्था चौपट हो गई लेकिन युवाओं की एकता का भी अदभुत नजारा देखने काबिल था। स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह समिति के वार्षिक कार्यक्रमों का आगाज उदयपुर में स्वामी विवेकानंद जयंती के उपलक्ष्य में शोभायात्रा से किया गया। शोभायात्रा की भव्यता व महत्ता का देखते हुए इसे चार स्थानों से निकाला गया।
विवेकानंदमयी हुआ सूरजपोल चौराहा : ऐतिहासिक स्वामी विवेकानंद की शोभायात्रा का महासंगम सूरजपोल चौराहे पर चारों स्थानों से एक साथ दोपहर 12 बजे हुआ। ऐतिहासिक महासंगम समयबद्व अनुशासित रूप से पहली बार इतनी बडी़ तादाद में शोभायात्रा जिसमें अनेकानेक झांकियां, घुड़सवार, समाज के प्रबुद्वजन, स्कूली विद्यार्थी आदि थे ठीक समय पर हुआ। यहां से चारों शोभायात्राओं का एक साथ टाउनहॉल प्रांगण पर समापन हुआ जहां प्रसाद वितरण आदि किया गया। यात्रा के आरम्भ में स्कूली बच्चे स्केटिंग के करतब दिखाते चल रहे थे जिनके पीछे घोड़ों पर स्वामी विवेकानंद के प्रतिरूप में विराजित थे। साथ ही अखाडा़, गवरी प्रदर्शन एवं साहसिक करतब दिखाते हुए युवा चल रहे थे। विवेकानंद बनें युवा व बच्चे, एकलिंगनाथजी की झांकी, भारत माता की झांकी, महाराणा प्रताप की झांकी, आदर्श परिवार की झांकी, कलश यात्रा की झांकी, राष्ट्रीय सेवा योजना की झांकी, राष्ट्रीय केडेट कोर की झांकी, शहीदों को नमन की झांकी, कश्मी र के शहीदों की झांकी, स्केटिंग दलों की झांकियों ने भाग लिया।
श्री रामकृष्ण परमहंस शोभायात्रा : यह शोभायात्रा पटेल सर्कल से सुबह 10.45 बजे आरंभ हुई। इसको शहर विधायक गुलाबचंद कटारिया एवं आलोक संस्थान के संस्थापक श्यामलाल कुमावत ने केसरिया पताका दिखाकर रवाना किया। यात्रा संयोजक विनोद गदिया, सुभाष जोशी, ऋषभ कुमार जैन, जयंत ओझा, दिनेश भट्ट, रविन्द्र श्रीमाजी, ताराचंद जैन व नगर परिषद सभापति रंजनी डांगी थे। यात्रा न्यू रेलवे स्टेशन, उदियापोल होते हुए सूरजपोल पर महासंगम का हिस्सा बनी। इस मार्ग में 12 गेट लगाए गए थे। 11 स्कूलों के बच्चों ने प्रतिनिधित्वब किया। कई झांकियां शामिल हुईं जिनमें स्वामी विवेकानन्द, भारत माता, महाराणा प्रताप, भीलू राजा, भ्रूण हत्या आदि प्रमुख थीं।
मां शारदा शोभायात्रा : यह सुबह 11 बजे बजे बी. एन. संस्थान से प्रारम्भ हुई जिसे सुरेश गिरी महाराज व संस्थान के मेनेजिंग डायरेक्टर निरंजन नारायण सिंह ने केसरिया पताका दिखाकर रवाना किया। संयोजन महिपाल राठोड़, डॉ. कौशल शर्मा, गणपत लोहार, गोपाल सोनी एवं पंकज पालीवाल ने किया। शोभायात्रा बी. एन. ग्राउण्ड से प्रारम्भ होकर गुरुद्वारा के सामने पहुंची जहां सिख समाज के मुखियाओं ने पुष्पणवर्षा से स्वागत किया। यात्रा के पूरे मार्ग में अन्यन्य संगठनों ने स्वागत द्वार लगाकर स्वागत किया गया। शोभायात्राओं के अग्रसर अश्वकधारी युवा थे जिनके हाथ में केसरिया पताका थी। शोभायात्रा में भगवान एकलिंगनाथ की झांकी, अग्नि शमन , स्वामी विवेकानन्द मां काली की आराधना, पर्यावरण सुरक्षा, रामसेतु तोड़ने का विरोध प्रदर्शित करती, भारत मां की आराधना करती, पाकिस्तान द्वारा भारतीय सैनिक के सर काटने की बर्बरता को दर्शाती झांकी विशेष आकर्षण का केन्द्र् रहीं।
स्वामी विवेकानन्द शोभायात्रा : यात्रा भूपालपुरा ग्राउण्ड से सुबह 11 बजे प्रारम्भ हुई जो शास्त्री सर्कल, देहलीगेट, बापू बाजार होते हुए संगम स्थल सूरजपोल पहुंची। यात्रा संयोजक नेत्रपालसिंह यादव, यशवन्त पालीवाल, महेन्द्र दोशी, गोपालकृष्ण् गौड़, राजेश माली, पंकज चित्तौडा़ आदि थे। शोभायात्रा में अग्रिम पंक्ति में दो अश्वाशरूढ़ महापुरुषों की वेशभूषा में युवा थे।
भगिनी निवेदिता शोभायात्रा : शोभायात्रा ऐतिहासिक धार्मिक स्थल जगदीश चौक से सुबह 11 बजे आरम्भ हुई जिसे खास ओदी के महंत प्रयाग गिरी महाराज, मेलडी़ माताजी के महंत विरमदेव तथा केन्द्रीय उपाध्यक्ष मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के शक्तिसिंह कारोई ने भगवान जगन्नाथ स्वामी की पूजा अर्चना, विवेकानन्द के चित्र पर माल्याकर्पण तथा पुष्पप अर्पित कर केसरिया ध्वजा दिखाकर शंख ध्वीनि के साथ यात्रा प्रारम्भ हुई। शोभायात्रा के संयोजक हीरालाल सोनी, कमलेन्द्रसिंह पंवार, हरीश तिवारी, विवेक बोहरा, दिनेश मकवाना, कृष्ण कांत शर्मा, महेन्द्र नागदा, सुखलाल ने किया। शोभायात्रा जगदीश चौक से प्रारम्भ होकर घण्टाघर, बडा़ बाजार, सिन्धी बाजार, मुखर्जी चौक, झीणीरेत चौक होते हुए महासंगम स्थल सूरजपोल पर पहुंची। शोभायात्रा में शिव सेना, भारतीय मजदूर संघ, धर्मोत्सव समिति, बजरंग सेना, महाराणा प्रताप सेना, मेवाड़ क्षत्रिय महासेना, पहल संस्थान, बजरंगबली प्रचार समिति, राजस्थानी भाषा संघर्ष समिति, राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ, राजस्थान शिक्षक संघ, राष्ट्रीघय रामकृष्णर दल, चांदपोल सेवा समिति के साथ विभिन्न स्कूंलों के बालक बालिकाओं सहित समाज के गणमान्य नागरिक मौजूद थे।