Udaipur. संकरात का धरम है माई… की आवाज से अलसुबह उठे श्रद्धालुओं ने मकर संक्रांति पर खूब दान पुण्य किए। जहां विकलांग, निशक्त, बच्चों को दान पुण्य करने में श्रद्धालुओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी वहीं हष्ट-पुष्ट याचकों को यह भी कहा कि काम कर सकते हो तो काम क्यों नहीं करते? ऐसे नजारे सोमवार को आम रहे। दिन में पारंपरिक खेलों सतोलिया, क्रिकेट, पतंगबाजी का जोर रहा वहीं घरों में खीच, तिल से बने व्यंजन बनाए गए।
अलसुबह से दान पुण्यं का शुरू हुआ दौर शाम तक जारी रहा। मंदिरों में विशेष पूजा अनुष्ठारन हुए। याचकों को यथासंभव दान दिया वहीं गायों को चारा (रजका) भी डलवाया गया। सुबह से याचकों की टोलियां गली-मोहल्लों में निकल पड़ी। घरों से अनाज, कपडे़, तिल के व्यंजन आदि मिले। मंदिरों के बाहर भी याचकों की लाइन सी लगी रही। घरों में गेहूं व दूध का खीच बनाया गया। एक-दूसरे को आमंत्रित कर व्यंजन खिलाए गए। महिलाओं ने संक्रांति पर अपने परिजनों व रिश्ते दारों में 14 जनों को सामग्री वितरित की। बाजार सूने रहे वहीं गली-मोहल्लों में भी सतोलिया की धूम रही। कॉलोनियों में तो दिन भर यही चला। गिल्ली-डंडा, मारदड़ी (गेंद से मारना) भी खूब खेले गए। उद्यानों में भी खासी भीड़ रही। शाम को आसमान पतंगों से अटा रहा।