रोटरी इंटरनेशनल ने अभियान के मुख्य संचालक पवन कौशिक को किया पुरस्कृत
Udaipur. वेदान्ता के बाल चेतना अभियान ‘खुशी’ के संचालक हेड—कार्पोरेट कम्यूनिकेशन पवन कौशिक को रोटरी इन्टरनेशनल उदयपुर मेवाड़ ने शनिवार को एक भव्य समारोह में पुरस्कृत किया।
भारत में पहली बार किसी उद्योग ने सोशल मीडिया पर भारत में वंचित बच्चों के सम्पूर्ण विकास, उनके सुपोषण, उनकी शिक्षा तथा उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए एक अभियान ‘वेदान्ता खुशी’ की शुरूआत की है। समारोह में रोटरी मेवाड़ के हंसराज चौधरी ने बताया कि वेदान्ता खुशी की महत्वपूर्ण बात लोगों को अपने स्तर पर वंचित बच्चों के प्रति जागरूकता पैदा करना तथा अपने स्तर पर इन बच्चों के सम्पूर्ण विकास के प्रति प्रयास करना है। अभियान आर्थिक सहायता नहीं मांगता बल्कि समाज के वंचित बच्चों के प्रति जागरूक होने की प्रेरणा देता है। निजी स्तर पर इन बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सुपोषण के प्रति सार्थक कदम उठाने की एक राष्ट्रीय मुहिम है। यही कारण की यह अभियान बाकी सभी सामाजिक अभियानों से ‘वेदान्ता खुशी’ अभियान को अलग करता है और इसी कारण रोटरी इन्टरनेशनल उदयपुर मेवाड़ ने पवन कौशिक को ‘वेदान्ता खुशी’ के संचालक सम्मानित किया गया।
मुख्यन अतिथि सुविवि के कुलपति प्रोफेसर आई. वी. त्रिवेदी ने कौशिक को पुरस्कृत करते हुए कहा कि देश के युवाओं को राष्ट्र की सामाजिक समस्याओं के प्रति जागरूक होना पड़ेगा तथा सामाजिक परिवेश में ही उनके समाधान ढूढ़ने होंगे। हमारे देश की युवा शक्ति ही आने वाले भारत की पहचान है तथा ‘वेदान्ता खुशी’ इस बात का प्रमाण है कि समस्याओं का समाधान उनसे भागने में नहीं परन्तु वास्तविक आंकड़ों के साथ उनका हल ढूढने में है।
पुरस्कार ग्रहण करने के बाद कौशिक ने ‘खुशी’ की भावना व इसके जन्म के बारे में कहा कि अभियान के विचार वंचित बच्चों के भविष्य के प्रति वेदान्ता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल के समर्पण से आए। जिस तरह वेदान्ता ग्रुप चार राज्यों में आंगनवाडिय़ों को गोद लेकर इन वंचित के सुपोषण, स्वास्थ्य एवं शिक्षा में महत्वपूर्ण परिवर्तन ला रहा है उसी प्रकार एक ऐसी राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय अभियान की जरूरत थी जो भारतवर्ष को वंचित बच्चों के बारे में एक सोच से जोड़ सके और यही से वेदांता खुशी अभियान का जन्म हुआ। ‘
कौशिक ने कहा कि ‘वेदान्ता खुशी’ अभियान यह समझाना चाहता है कि सरकार, कंपनियां या गैर सरकारी संगठन अकेले भारत में वंचित बच्चों से संबंधित समस्या का समाधान नहीं कर सकते। यह काम आसान नहीं हैं। समाज तथा सम विचार वाले लोगों को आगे आना होगा तथा अपने स्तर पर इसका हल ढूंढना होगा।’ उन्होंरने बताया कि फेसबुक पर जब हमने ‘वेदान्ता खुशी’ ग्रुप बनाया तो शुरूआत में हम केवल 7 लोग ही थे। जैसे—जैसे बढ़ते गए लोग जुड़ते गये। आज खुशी ग्रुप में करीब 23 हजार सदस्य हैं जिनमें एंटरप्रेन्योर्स, प्रोफेसर्स, डॉक्टर्स, स्टुडेंट्स, मैनेजमेंट स्नातक, गैर सरकारी संगठन तथा अनेक गणमान्य व्यक्ति आदि शामिल हैं। ‘वेदान्ता खुशी‘ ब्लॉसग भी दिल को छू देने वाली कहांनियों के साथ 50,000 पेज व्यूज का आंकड़ा पार करने की ओर है। ‘वेदांता खुशी’ ऑनलाइन विचार—विमर्श एवं बहस का आयोजन भी करता है जिनमें सडक़ पर रहने वाले बच्चों, भिक्षावृत्ति वाले बच्चों को शिक्षित करना, ग्रामीण स्कूलों से बच्चों के स्कूल छोडऩे बाबत समस्या, ग्रामीण स्कूलों के बुनियादी ढांचे, अध्यापकों की समस्याओं, पटाखे बनाने वालों में शामिल बच्चों की समस्या आदि शामिल हैं। बहस और विचार—विमर्श से सकारात्मक समाधान आते हैं जो व्यक्ति और कंपनियां अपना रही हैं।
कौशिक ने बताया कि ‘खुशी’ समूह में गहन विचार—विमर्श और सक्रिय भागीदारी से पहला परिवर्तन लोगों के स्वभाव में देखा गया है। कई लोगों ने बताया कि अब वे गरीब बच्चों पर नहीं चिल्लाते और उनके लिए कुछ रचनात्मक कार्य करने का प्रयास करते हैं। लोगों में गरीब बच्चों के प्रति स्वभाव में परिवर्तन आना, एक बड़ा बदलाव ‘वेदांता खुशी’ के अभियान के उपरान्त देखा गया है। उन्होंवने बताया कि हमने बस्ती के बच्चों के साथ उनकी समस्याओं को समझने के लिए उनके साथ विचार—विमर्श किया है। ऐसा नहीं है कि सभी बच्चे पढ़ाई नहीं करना चाहते। इनमें से कई बच्चे अपने क्षेत्र में स्कूल खुलने का इंतजार कर रहे हैं।
तमिलनाडू में वेदांता समूह लगभग 700 बच्चों की देखभाल कर रहा है जिनके माता—पिता नीलगिरी क्षेत्र में काम करने आए हैं। कंपनी ने एक गैर सरकारी संगठन के साथ इन बच्चों कि शिक्षा, भोजन और स्वास्थ्य जांच उपलब्ध कराने के लिए समझौता किया है। अब यह बच्चे सडक़ पर घूमने के बजाय अपना भविष्य बना रहे हैं। वेदांता ‘खुशी’, अमेरिकन जीबीएच हॉस्पिटल और अमेरिका के स्माइल ट्रेन आर्गेनाइजेशन के साथ मिलकर होंठ, तालु कटे बच्चों के लिए उदयपुर में मदद कर रहा है। इसके तहत 2500 बच्चों के नि:शुल्क ऑपरेशन किए जाएंगे। औसतन इनमें प्रत्येक बच्चे पर करीब 12 से 15 हजार रुपए खर्च होता है जो अब उनके लिए निशुल्क होगा।
रोटरी के निर्मल सिंघवी ने बताया कि रोटरी की विचारधारा लोगों में सामाजिक व आर्थिक विषयों पर जागरूकता लाना है। रोटरी क्लब की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह कोशिश रहती है कि आम जनता के साथ मिलकर उनके सहयोग से हम समाज को और बेहतर बना सकें। इस अवसर पर हिन्दुस्तान जिंक की ओर से ‘वेदान्ता खुशी’ की पूरी टीम प्रद्युम्नक सोलंकी, प्रणव जैन तथा शिवनारायण मौर्य भी उपस्थित थे। साथ ही रोटरी के अध्यूक्ष योगेश पगारिया, सेक्रेट्री अनिल मेहता तथा रोटरी मेवाड़ के अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे।