पट्टे के लिए 30 वर्षों से भटक रहे सहेलीनगर कालोनीवासी
Udaipur. 1982 में कॉलोनी स्थाभपित हुई। एग्रीकल्चर के कारण बिना परमीशन मकान बन गए। 1997 में एक बार निर्माण निषेध क्षेत्र में कॉलोनी आ गई। फिर 1999 में वापस क्षेत्र से बाहर कर दिया गया। अफसोस इस बात का कि अब तक कॉलोनी के निवासी पट्टों के लिए मारे मारे फिर रहे हैं। बात है उदयपुर की पॉश मानी जाने वाली सहेलीनगर कॉलोनी की जिसके अमूमन हर घर में चार पहिया वाहन निश्चित रूप से मिल जाएगा।
यहां की बनी हुई विकास समिति को 30 सालों तक चक्क र काटते काटते भटकते हुए अंतिम रूप से आज मीडिया का सहारा लेना पड़ा और पत्रकार वार्ता में समिति के पदाधिकारियों ने थक हार कर अंतिम गुजारिश की। उल्लेरखनीय है कि यह भी ऐसे समय में हो रहा है जब राज्यर सरकार ने प्रशासन शहरों के संग अभियान चला रखा है। नगरीय विकास मंत्री शांतिलाल धारीवाल ने स्पसष्ट् रूप से कहा कि सभी को पट्टे जारी करें। अगर गलत हुआ तो बाद में निरस्तल कर दिया जाएगा। लेकिन उदयपुर नगर विकास प्रन्या स के अधिकारी हैं कि टस से मस नहीं हो रहे हैं।
सहेलीनगर विकास समिति के संरक्षक बी. एल. मंत्री ने बताया कि नगरीय विकास मेत्री शांति धारीवाल ने प्रन्यास अधिकारियों को सभी आवदेनकर्ताओं को पट्टे देने की बात कहे जाने के बावजूद अधिकारी गली निकाल कर उनकी बात को भी नजरअंदाज कर रहे हैं। समिति अध्यक्ष तेजप्रकाश जोशी ने बताया कि 1982 में बनी इस कॉलोनी में 1999 से पूर्व अधिकांश जमीन पर पक्के मकान निर्मित हो चुके है। इस कोलोनी में सभी मकानों में बिजली, पानी सहित सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध है। कॉलोनी में पक्की सडक़ें एंव नालियां तक निर्मित हो चुकी है और ऐसे में अधिकारियों का द्वारा पट्टा नहीं दिया जाना हम सभी की समझ से परे है। राज्य सरकार द्वारा प्रशासन शहरों के संग अभियान को प्रारम्भ में करने से पूर्व समाचार पत्रों में जारी किये गए विज्ञापनों के अनुसार यह कोलोनी पूर्णत: सभी मापदण्डों पर खरी उतरती है लेकिन इसे बावजूद अधिकारियों द्वारा पट्टा नहीं देकर सरकार के इस अभियान को निष्फल करने का प्रयास किया जा रहा है।
सचिव मोहन बोहरा ने बताया कि अधिकारियों द्वारा बार-बार यह बताया जा रहा है कि करीब 450 मकानों वाली इस सहेलीनगर कोलोनी 1997 में निर्माण निषेध क्षेत्र में चली गई लेकिन जब उन्हें यह बताया जा रहा है कि 10 दिसंबर 1999 को उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में रावजी का हाटा, भटियानी चोहट्टा, हाथीपोल सहित शहर के अन्य क्षेत्रों को निर्माण निषेध क्षेत्र से बाहर निकाला जा चुका है लेकिन अधिकारी इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है। प्रन्यास अधिकारियों ने इस कॉलोनी के 450 मकानों में से करीब 50-60 मकानों का नियमन कर दूसरों के साथ भेदभाव बरत रहे है। अचल देवपुरा ने बताया कि समिति सदस्यों ने प्रन्यास अधिकारियों को यहां तक भी निवेदन किया कि यदि वे पट्टा देने में असहज महसूस कर रहे हो तो कोलोनी की फाईल जयपुर भिजवा दें ताकि वहां से किसी प्रकार का हल निकल सके, लेकिन इस पर भी अधिकारी तैयार नहीं है। इस अवसर पर बी. एल. समदानी, शान्तिलाल गोदावत, मनोहर गुरानी, सुरेश श्रीमाली, राकेश मुन्दड़ा, गजेन्द्र जोधावत, अरविन्द शाह, मनीष खमेसरा, विवेक पालीवाल, अभिनव मंत्री प्रकाश पालीवाल सहित अनेक सदस्य उपस्थित थे।