सेल एवं मोल्यूक्यूलर बायोलॉजी कार्यशाला
Udaipur. विद्या भवन सोसायटी और भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी द्वारा आयोजित सेल एवं मोल्यूक्यूलर बायोलॉजी कार्यशाला का समापन शुक्रवार को हुआ। अंतिम दिन दुनियाभर के प्रख्यात और नामी वैज्ञानिकों के व्याख्यान हुए।
दूसरे दिन उद्घाटन सत्र में कमल महेन्द्रू ने विद्या भवन द्वारा विज्ञान और गणित शिक्षा में राष्ट्रीाय स्तर पर किए जा रहे योगदान व कार्यों पर प्रकाश डाला। उसके साथ ही हार्वर्ड विश्वप विद्यालय के डा. रिचार्ड लोसिक ने ‘‘क्या मानव ज्यादा आणविक है या मानवीय है‘‘ विषयक व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि हर मनुष्यन अपने उपर अपनी शरीर कोशिकाओं की संख्याओं से शत प्रतिशत ज्यादा संख्या में जीवाणु अपने साथ लेकर चल रहा है जो उसके व्यवहार के हर आयाम को प्रभावित कर रहा है। डा. विवेक मल्होत्रा ने ‘‘कोशिका में पाए जाने वाले परंपरागत और गैर परंपरागत पारगमन के तरीके‘‘ के बारे में बताया। उन्होंने ‘सेन्टल डोगमा‘‘ के सिद्धांत को एनिमेटेड तरीके से प्रस्तुत किया और कोशिकाओं में उतपन्न प्रोटीन के प्रसरण के तरीकों को विस्तार से स्पष्टक किया।
तीसरा व्याख्यान ग्राम्ह हेटफूल द्वारा प्रस्तुत किया गया। इसमें उन्होंने बेक्टीरियोफेज पर विस्तार से अपनी शोध निष्क्र्षों को प्रस्तुत किया। यदि उन्हें एक के उपर एक सीधी रेखा में रखे तो यह करीब 200 मिलियन प्रकाश वर्ष की लंबाई पाएंगे। साथ ही उन्होंने बेक्टीरियोफेज के रोग निदान में उपयोग को बताया।
दूसरे सत्र में नोबेल पुरूस्कार विजेता मार्टिन शाल्फी ने हरे चमकीले प्रोटीन की खोज पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कैसे जैली मछली के उत्सर्जन की खोज वैज्ञानिकों ने की। उन्होंने हरे प्रोटीन के वैज्ञानिक उपयोग बताए। उनका कहना था कि विज्ञान को उत्पाद के रूप में नहीं बल्कि प्रक्रिया के रूप में अध्ययन करना जरूरी है। यह अकेले किया जाने वाला कार्य नहीं बल्कि एक सामूहिक काम है।
इसी सत्र में प्रो. तुली द्वारा आनुवांशिक खोज के तरीकों पर प्रकाश डाला। उन्होंने फ्रूट मक्खी पर किए प्रयोंगों और निष्कीर्ष को बताया साथ ही स्टेम कोशिका के कार्य और प्रकार पर विस्तार से बात की। सत्र का अंतिम व्याख्यान डा. रोन वेले द्वारा प्रस्तुत किया गया जिसका विषय था मानव में पाए जाने वाले विभिन्न कोशिकीय गतियों के प्रकार और उनका प्रभाव। उन्होंने विस्तार से तंत्रिका कोशिका में पाई जाने वाली गतियों को बताया। कार्यशाला में उदयपुर शहर की विभिन्न संस्थाओं के विज्ञान संकाय सदस्यों, विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, प्राध्यापकों और चिकित्सका ने भाग लिया। दो दिवसीय इस कार्यशाला में उदयपुर शहर के जीव विज्ञान विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, प्राध्यापकों और चिकित्सकों को विज्ञान की एक अलग दृष्टि से अवगत कराया।