Udaipur. शिशु मृत्यु दर कम करने और मां के दूध के प्रति समाज में जागरूकता लाने के लिए स्थापित दिव्य मदर मिल्कं बैंक आज से विधिवत रूप से पन्नाधाय चिकित्सालय में शुरू हो गया।
बाल व शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. आर. के. अग्रवाल ने कहा कि गर्भधारण से शिशु के स्तनपान की उम्र तक आमजन में व्याप्त विभिन्न भ्रांतियों को दूर कर हकीकत से वाकिफ कराया जायेगा कि मां का शुरूआती दूध ही नवजात शिशु के लिए पहला टीका है, अमृत है। उन्होंरने बताया कि अफसोस की बात है कि 59 प्रतिशत नवजातों को पैदा होने के बाद मां का दूध नहीं मिलता जबकि 46 प्रतिशत नवजातों को पहले 6 माह तक मां का दूध नसीब नहीं होता।
माँ भगवती विकास संस्थान द्वारा पन्नाधाय राजकीय महिला चिकित्सालय में स्थापित ‘दिव्य मदर मिल्क बैंक’ के निदेशक देवेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि दिव्य मदर मिल्क बैंक का निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है, जिसमें स्वागत कक्ष, डोनर व काउन्सलिंग रूम, प्रोसेस रूम, स्टोरेज रूम हैं। इसके लिए आवश्यक उपकरण प्री-प्रोसेस फ्रीजर, बॉटल स्टलाईजर मशीन, पाश्चराईजर मशीन, सक्शन मशीन, पोस्ट प्रोसेस डिफ्रिजर आदि स्थापित किये जा चुके हैं। मां के दूध को प्रोसेस के पश्चात -20 तापमान पर 3 से 6 माह तक दूध सुरक्षित रखा जा सकेगा।
मां का दूध नवजात को निशुल्क उपलब्ध
बैंक की मुख्य कार्यवाहक अधिकारी तरन्नुम सिन्हा ने बताया कि यह ‘मदर मिल्क बैंक’ ब्लड बैंक की तर्ज पर ही कार्य करेगा व वर्तमान में NICU में भर्ती नवजातों को फार्मूला मिल्क के सहारे रखा जाता है। उन्हें डॉक्टंर की सलाह पर मां का दूध उपलब्ध कराया जायेगा। शेष दूध महेशाश्रम में पल्लवित नवजात शिशुओं को उपलब्ध कराया जायेगा। डोनर मां की रक्त जांच (एचआईवी, एचबीएसएजी, वीडीआरएल) व स्वास्थ्य जांच के बाद मिल्क प्रोसेस में लिया जायेगा। सिन्हा ने बताया कि जिस प्रकार रक्त दान किया जाता है उसी प्रकार धात्रि माँ नवजात शिशुओं की जीवन रक्षा के लिये अपना – अपना दूध दान कर पायेगी।
प्रोजेक्ट समन्वयक अर्चना शक्तावत ने बताया कि पन्नाधाय चिकित्सालय में संस्थान की ओर से काउन्सलरों की उपलब्धता रहेगी जो धात्री माताओं को अपने बच्चों को दूध पिलाने के बाद बचे हुए दूध को दान करने के लिये प्ररित करेगी। दूध दान करने से महिलाओं को भी शारीरिक लाभ मिलेगा।
बैंक की समन्वयक सरोज पटेल ने धन्यवाद दिया कि नवजात को मां के शुरूआती दूध के बजाय घुट्टी, शहद, हरड़, पानी व चाय तक पिला दी जाती है। शिशु के जन्म के बाद उसकी बुआ या अन्य रिश्तेदार के हाथ से नवजात को शहद व घुट्टी देने का रिवाज है व इसे शुभ माना जाता है। इस इन्तजार में नवजात मां के मां के पहले दूध कोलेस्ट्रोम (पीला दूध) से वंचित हो जाता है वही नवजात की भूख व प्यास समाप्त होने से मां का दूध भी नहीं उतरता।