परिशुद्ध कृषि पर राष्ट्रीय सम्मेलन
Udaipur. राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. के. एन. नाग ने कहा कि देश में स्वाधीनता से अब तक लगभग साढे छह गुना अनाज उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गई है। इसके बावजूद जनंसख्या वृद्धि के परिणामस्वरूप सतत खाद्यान्न आपूर्ति में कमी की संभावना है। इन परिस्थितियों को अवरिल हरित क्रांति से ही दूर किया जा सकता है जिसमें कृषि अभियंताओं की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
वे यहां शनिवार को दी इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स के उदयपुर लोकल सेंटर तथा प्रौद्योगिकी एंव कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय के तत्वावधान में कृषि अभियंताओं की दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठीष के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। आरम्भ में संस्था के अध्यक्ष डॉ. वाई. सी. भट्ट ने अतिथियों का स्वागत किया। सह संयोजक डॉ. घनश्याम तिवारी ने 26 वें राष्ट्रीय संगोष्ठी की रिपोर्ट एवं अनुशंसाएं प्रस्तुत की।
विशिष्टि अतिथि एस. चन्द्रा, निदेशक, इण्डियन सोसाइटी ऑफ एग्रोबिजनेस प्रोफेशनल्स, नई दिल्ली ने बताया कि अब काश्तथकार नई तकनीक अपनाने को तत्पर है क्योंकि कृषि में घटती श्रमिक उपलब्धता और बढ़ती आदान लागत ने मशीनीकरण की ओर उन्हें आकृष्ट किया है। किसान अपने स्तर पर वैज्ञानिक विचारधारा के अनुरूप आवश्यक संशोधन कर उत्पादन लागत कम करनें में सहयोग प्रदान कर रहे हैं। संचालन डॉ. दीपक शर्मा ने किया। धन्यवाद मानद सचिव इंजीनियर सैयद इरशाद अली दिया।