Udaipur. उदयपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री ने प्रस्तावित दिल्ली-मुम्बई सीधे रेल मार्ग के अन्तर्गत उदयपुर को जोड़ने का सुझाव दिया है। इस बारे में प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, रेल मंत्री एवं मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित किए गए हैं।
बताया गया कि दिल्ली-मुम्बई वाया कोटा-रतलाम का 1388 किमी. का वर्तमान में रेलमार्ग है। इसके अलावा दूसरा मार्ग रींगस-मारवाड़-आबूरोड़-अहमदाबाद का 1350 किमी है। यूसीसीआई ने सुझाव दिया कि प्रस्तावित दिल्ली-मुम्बई रेल मार्ग में दक्षिणी राजस्थान का एक बड़ा हिस्सा उपेक्षित रह गया है जिसमें उदयपुर भी शामिल है। दक्षिणी राजस्थान के डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ आदि क्षेत्र सबसे गरीब एवं पिछड़े जनजातिय क्षेत्र है जो कि विकास से वंचित है। यदि इन क्षेत्रों को प्रस्तावित दिल्ली-मुम्बई रेल मार्ग से जोड़ा जाता है तो यह सबसे छोटा मार्ग होगा जिसमें बड़ौदा से डूंगरपुर एवं नाथूद्वारा से ब्यावर/अजमेर नई रेलवे लाइन बिछाए जाने से उपरोक्त प्रस्तावित रूट मात्र 1250 किमी. होगा। इससे न केवल 138 किलोमीटर की रेल लाईन नहीं बिछाने से 10 प्रतिशत की बचत होगी बल्कि साथ ही इस जनजातीय बहुल क्षेत्र का तेजी से विकास होगा। माइंस, मिनरल एवं उद्योगों के विकास को पंख लगेंगे। गरीब आदिवासी को रोजगार मिलेगा। रेलवे को अधिक आय मिलने के साथ-साथ 10 प्रतिशत ईंधन की बचत से पर्यावरण का संरक्षण होगा। साथ ही धार्मिक दृष्टि से जिसमें अजमेर में पुष्कचरराज, ख्वाजा साहब की दरगाह, नाथद्वारा में श्रीनाथजी का मंदिर एवं ऋषभदेव में केसरियाजी का मंदिर भी धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देंगे।
यूसीसीआई का सुझाव है कि उपरोक्त रेल मार्ग के निर्माण हेतु यदि रेलवे को वित्तीय संसाधनों की समस्या पेश आ रही है तो आमजन हेतु बॉण्ड जारी कर इस समस्या का निराकरण किया जाना संभव है। उदयपुर के जागरूक वरिष्ठॉ नागरिक एवं वेकअप इंडिया संस्थान के अध्यक्ष रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी जगदीशचन्द्र पानेरी के सूचना का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत अपील किये जाने पर केन्द्रीय सूचना आयुक्त द्वारा 28 फरवरी को नई दिल्ली में सुनवाई होगी जिसमें रेलवे अधिकारियों की अनुपस्थिति पर अपीलकर्ता के पक्ष में निर्णय दिये जाने का आदेश जारी किया गया है।