छात्र संसद में उठे विचार
Udaipur. निजी विश्वविद्यालय मोटी फीसें लेकर छात्रों का शोषण कर रहे हैं, सेवा के नाम पर सरकारों से जमीनें ले रहे हैं। 38 ऐसे विश्वविद्यालयों को मान्यता मिली है जो समुचित मापदंड पर खरे तक नहीं उतरते।
कुछ ऐसे ही विचार सुविवि की मेजबानी में विज्ञान महाविद्यालय सभागार में शुरू हुई छात्र संसद में उभरकर आए। राज्य के 40 से अधिक महाविद्यालयों के छात्रसंघ अध्यक्षों की मौजूदगी में हुई इस संसद में सरकार के शिक्षा से जुडे़ निर्णयों की खिलाफत करते हुए छात्रसंघों को अधिक अधिकारयुक्त बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया।
छात्रसंघ अध्यक्षों ने आरोप लगाया कि निजी विश्वकविद्यालयों को कौडि़यों के दाम पर जमीनें दी जाती हैं लेकिन छात्रों को रियायती दर पर शिक्षा के बजाय भारी फीस वसूली जा रही है। छात्र संसद में बोम में छात्रों को प्रतिनिधित्वद देने, वर्ष 2013 को महिला सुरक्षा वर्ष घोषित करने, छात्रसंघ चुनाव लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों के अनुसार करवाने, अजा-अजजा छात्रों को समय पर छात्रवृत्ति दिलाने आदि की मांगें की गई। इस दौरान सुविवि केन्द्रीय छात्रसंघ अध्यक्ष पंकज बोराणा, राजस्थान विश्वविद्यालय के अध्यक्ष राजेश मीणा सहित कई जिलों के छात्रसंघ अध्य क्ष शामिल हुए।