पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह
Udaipur. भारतीय लोक कला मण्डल एवं दी परफोरमर्स उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में स्थापना दिवस एवं देवीलाल सामर स्मृति राष्ट्रीय नाट्य समारोह के चौथे एवं समापन दिवस पर अहमदाबाद की संस्था अक्षर कल्चरल फाउन्डेशन के कलाकारों द्वारा पितृ देवो भव: का प्रभावी मंचन हुआ।
लेखक प्रवीण सोलंकी ने एक सामाजिक दृष्टीकोण रखकर नाटक के कथानक को इस प्रकार तैयार किया कि दर्शक उसमें अपना व्यक्तित्व को देख सकें। पिता-पुत्र की इस कहानी में पिता का पहला आघात तब लगता है, जब पुत्र अपनी मां का निधन होने पर भी देश वापस आने पर असमर्थता जता देता है । इस स्थिति को ज्यादा महत्व न देते हुए भी पिता को अचंभा उस दिन होता है जब वह ग्रीन कार्ड के लिये विदेशी महिला से शादी कर उसको अपने घर ले आता है लेकिन इन सब के बाद पिता अपनी खुशी के लिये जब नई शादी करता है तो उसमें पुत्र द्वारा अपनी नई मॉं पर जायदाद सम्बन्धी संदेह कर अदालत में मुकदमा कर देता है और अंतत: अपने पिता को पागल साबित कर वह केस जीत जाता है जिसके बाद पिता सब कुछ छोड़कर (घर) अपनी पत्नी के साथ चला जाता है।
आकर्षक मंच सज्जा एवं व्यक्तित्व के अनुरूप रूप-सज्जा से सजे इस नाटक के मुख्य किरदारों में पिता कुणाल भट्ट, पुत्र-गोपाल बारोट का अभिनय जोरदार रहा वहीं पत्नी-मंजू त्रिवेदी एवं विदेशी युवती-दीपाली सिनरोजा ने अपने अभिनय में कसर नहीं छोड़ी। अन्य पात्रों में अभिज्ञना, निषिथ श्वेता शाह, दीपाली, भौतिक, रोमी विश्वेश एवं करण वाघेला ने अभिनय किया। मंच के पार्श्वश में प्रकाश व्यवस्था-राजेश महिंद्रा, संगीत-पुर्विश ने किया तथा रूप-सज्जा भार्गव की थी। अक्षर कल्चरल फाउन्डेशन द्वारा निर्मित एवं गुजरात सरकार के युवा, संस्कृतिक विभाग के सहयोग से बने इस नाटक की निर्मात्री एवं दिग्दर्शक मनीषा त्रिवेदी थी। समारोह के समापन दिवस पर दी परफोरमर्स की निदेशक अनुकम्पा लईक ने सभी का आभार जताया एवं इससे पूर्व मुख्य अतिथि रियाज तहसीन साहब का स्वागत किया।