यूसीसीआई में केन्द्रीय बजट पर अध्ययन
Udaipur. उच्चतम न्यायालय के एडवोकेट व कर सलाहकार संजय झंवर ने केन्द्रीय बजट की घरेलू बजट से तुलना करते हुए कहा कि मूलभूत सुविधाएं, जन कल्यालण योजनाएं और देश की सुरक्षा पर तरीके से राशि खर्च की जाती है। कुछ खर्चे आकस्मिक भी होते हैं।
वे उदयपुर चेम्बर ऑफ कामर्स एण्ड इण्डस्ट्री द्वारा चेम्बर भवन के पी.पी. सिंघल सभागार में केन्द्रीय बजट का विश्लेरषणात्मक अध्ययन विषय पर वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्हों ने एलसीडी प्रोजेक्टर पर पावर पाइंट प्रजेन्टेशन के माध्यम से केन्द्रीय बजट में कराधान सम्बन्धी प्रावधानों की सरल शब्दों में व्याख्या की। उन्होंपने कहा कि एक बड़ी राषि विगत ऋण की अदायगी एवं ब्याज आदि चुकाने में व्यय की जाती है। इसके अलावा सरकारी मशीनरी को चलाने हेतु प्रशासनिक व्ययों पर भी काफी धन खर्च करना पड़ता है। इन सब व्ययों के भुगतान के लिये सरकार को तदनुसार राजस्व आय की व्यवस्था भी करनी पड़ती है। जो कराधान के माध्यम से प्राप्त होती है।
उम्मीदों के विपरीत बजट में यह देखने में आया कि सरकार द्वारा आम आदमी पर पड़ रही मंहगाई एवं आर्थिक भार को कम करने के लिये कोई उपाय नहीं किये गये हैं। बजट में इस पर विशेष ध्यान दिया गया है कि सरकारी खर्चो को पूरा करने, सार्वजनिक क्षेत्र में मानवीय संसाधन तथा मूलभूत सुविधाओं के विकास हेतु वित्तीय संसाधन जुटाने के लिये ज्यादा से ज्यादा प्रयास किये जायें। मोबाईल जैसी आम उपयोग की वस्तु पर टैक्स लगाने से आम उपभोक्ता प्रभावित होगा। पेट्रोल, डीजल एवं रसोई गैस की कीमतों में सरकार द्वारा की जा रही लगातार बढोतरी से सरकार की यह नीति स्पश्ट दृश्टिगोचर होती है कि वित्तीय संसाधन जुटाने हेतु आम आदमी पर आर्थिक भार डाला जाये जिससे सरकारी आय में वृद्धि हो सके।
संचालन करते हुये मानद महासचिव आशीष छाबडा़ ने कहा कि औद्योगिक क्षैत्र में घटती निवेश की प्रवृति तथा उत्पादों एवं सेवाओं की घटती विपणन आवश्यकताओं के चलते राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की विकास की दर गत वित्तीय वर्ष में धीमी रही है। टैक्स दरों में स्थिरता सरकार का एक अच्छा कदम है। किन्तु यदि सरकार द्वारा मुद्रास्फीहति के मद्देनजर आयकर लागू करने की वर्तमान सीमा को 2 लाख रूपये से बढाकर 3 लाख रूपये कर दिया जाता तो नौकरी पेशा लोगों के साथ-साथ लघु उद्यमियों व व्यवसायियों को राहत मिलती। लघु उद्योग श्रेणी हेतु निर्धारित सीमा को डेढ़ करोड़ रूपये से बढ़ा कर ढाई करोड़ रूपये किया जाना चाहिए था किन्तु यूसीसीआई के उपरोक्त दोनों सुझावों को सरकार द्वारा अमल में नहीं लाये जाने से आने वाले समय में औद्योगिक एवं व्यावसायिक विकास में और अधिक गिरावट आयेगी। अन्त में यूसीसीआई की आयकर एवं केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर सब कमेटी के चेयरमैन डॉ. निर्मल कुमार सिंघवी द्धारा धन्यवाद की रस्म ज्ञापित की गई।