नागरिकों को भूजल नहीं पीने की सलाह
Udaipur. एनएलसीपी योजना के तहत एक ओर जहां प्रशासन व सरकार झीलों की स्थिति में सुधार का दावा कर रहे हैं वहीं झील संरक्षण समिति सहित अन्य स्वंयंसेवी संगठनों के अनुसार पिछोला किनारे पुरानी व नई सीवरेज लाइनें ओवरफ्लो हो रही हैं जिससे उनका गंदा पानी झीलों में समा रहा है।
झील प्रेमियो व विशेषज्ञों ने क्षेत्र के नागरिकों को भूजल को अच्छी तरह उबालकर ही पीने के काम में लेने की चेतावनी दी है। पिछोला के पूर्वी हिस्से लालघाट से चांदपोल दरवाजे तक पुरानी व नई सीवर लाइनें लबालब हैं। सीवरेज मेन झील के ढक्कनों से बाहर फूट रहा है। लालघाट, गणगौर घाट, बोलेश्री घाट रोवडिया घाट इत्यादि स्थानों से सीवरेज का जहरीला पानी मेनहोल से निकल जमीन में भीतर ही भीतर धंस रहा है। यह पिछोला के पर्यटन के प्रमुख केन्द्र बागौर की हवेली के प्रवेश द्वार व मुख्य चौक में लगी फर्शी से सीवरेज बाहर निकल रहा है। जलस्तर बढ़ने से फर्शी बैठ रही है। स्थिति यह है कि जब पर्यटक चलते हैं तो पांव के दबाव से फर्शी की दरजो से सिवर बाहर निकल रहा है। साथ ही चांदपोल-गड़िया देवरा दीवार के भीतर पिछोला किनारों खुलेआम शौच निवृत्ति, शौच को पिछोला में ही धोने, सीवरेज के पिछोला में रिसने से यहां पानी सड़ांध मार रहा है। गर्मी बढ़ने के साथ स्थिति और अधिक भयावह होगी। झील प्रेमियों का मानना है कि सम्पूर्ण क्षेत्र कभी भी जलजनित महामारियों की चपेट में आ सकता है।
रविवार को मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट, झील संरक्षण समिति व चांदपोल नागरिक समिति के सयुक्त तत्वाधान में झील प्रेमियों व विशेषज्ञों ने रविवार को क्षेत्र की स्थिति देखी। दल में अनिल मेहता, तेजशंकर पाली वाल, नन्दकिशोर शर्मा, झील हितैषी मंच के हाजी सरदार मोहम्मद ज्वाला जनजागृति संस्थान के भंवरसिंह राजावत, क्षेत्रवासी ओम प्रकाश सेन, जितेन्द्र सिंह चौहान इत्यादि सम्मिलित थे।