Udaipur. प्रख्यात पर्यावरणविद् ग्रीन पीस इंडिया के अध्यक्ष और कल्पवृक्ष, पुणे के संसथापक ड़ॉ. आशीष कोठारी ने कहा कि वर्तमान में विकास और सकल घरेलु उत्पाद की मानसिकता पर्यावरण और प्रकृति को बाधा समझती है। शहरीकरण, खनन और विकास जो किया जा रहा है, यह विकास हिंसा के मार्ग पर आधारित है।
वे यहां परती भूमि विकास समिति और डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्टप के साझे में आयोजित पृथ्वी मंथन-वैश्विक भारत का निर्माण विषय पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। ड़ॉ. कोठारी ने कहा कि विकास की वर्तमान प्रक्रिया से गरीब और अमीर के मध्य खाई बढेगी ओर पर्यावरण का नाश होगा। गांवों व शहरों का जीवन प्रभावित होगा। विकास की वर्तमान स्थिति में शहर गांव का रिश्ता परजीवी की बनता जा रहा है। शहर गॉव से लकड़ी, पत्थर, रेत सभी लेता है और बदले में कूड़ा करकट देता है।
कोठारी ने कहा कि पंचायतीराज को बहुत बढा़वा दिया जा रहा है, किन्तु ग्राम सभा का सशक्तिकरण जब तक नहीं होगा तब तक गांव मजबूत नही होगा। शिक्षा प्रणाली पर कहा कि प्रकृति, संस्कृति और भाषा से दूर करती शिक्षा प्रणाली में भारी फेरबदल की जरूरत है। ड़ॉ कोठारी ने कहा कि वर्तमान विकास के मापदण्ड़ों को बदलने की जरूरत है। नागरिकों के पानी, भोजन व सामाजिक रिश्ते कैसे है, ये विकास के द्योतक होने चाहिए। कोठारी ने सूचना के अधिकार, राष्टीय ग्रामीण रोजगार योजना जनजाती एंव वन अधिकार मान्यता के कदमों की सराहना की।
गांधीवादी किशोर संत ने पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए भावी विकास का एक दस्तावेज बतलाया। पृथ्वी मंथन-वैश्विक भारत का निर्माण विषय पुस्तक का लोकार्पण पूर्व वन संरक्षक एस. के. वर्मा तथा विद्या भवन के अध्यक्ष रियाज तहसीन ने किया। संचालन, संयोजन व स्वागत ट्रस्ट सचिव नन्दकिशोर शर्मा ने किया।
विकास की वर्तमान प्रक्रिया से गरीब और अमीर के मध्य खाई बढेगी ओर पर्यावरण का नाश होगा। गांवों व शहरों का जीवन प्रभावित होगा। विकास की वर्तमान स्थिति में शहर गांव का रिश्ता परजीवी की बनता जा रहा है। शहर गॉव से लकड़ी, पत्थर, रेत सभी लेता है और बदले में कूड़ा करकट देता है।कोठारी ने कहा कि पंचायतीराज को बहुत बढा़वा दिया जा रहा है, किन्तु ग्राम सभा का सशक्तिकरण जब तक नहीं होगा तब तक गांव मजबूत नही होगा। शिक्षा प्रणाली पर कहा कि प्रकृति, संस्कृति और भाषा से दूर करती शिक्षा प्रणाली में भारी फेरबदल की जरूरत है। ड़ॉ कोठारी ने कहा कि वर्तमान विकास के मापदण्ड़ों को बदलने की जरूरत है। नागरिकों के पानी, भोजन व सामाजिक रिश्ते कैसे है, ये विकास के द्योतक होने चाहिए। प्रख्यात पर्यावरणविद् ग्रीन पीस इंडिया के अध्यक्ष और कल्पवृक्ष, पुणे के संसथापक ड़ॉ. आशीष कोठारी से सहमत है.yeh sahi hey.
d.k.prajapati
advocate
gen.secretary hind mazdoor kishan panchyat madhya pradesh.