देश विदेश में पसरे हैं होली के रंग और रस
होली का रंगीला त्योहार भारत में ही नहीं अनेक देशों में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। कहीं गुलार-अबीर मलकर, कहीं मदिरा पिलाकर, पुराने मतभेद भूलकर प्रेम से गले मिलकर यह अग्नि महोत्सव, राष्ट्रीय एकता मिलन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
प्रेम भावना और आत्मीयता से जुड़ा़ यह त्योहार कहीं बसंत ऋतु, कहीं ग्रीष्म तो कहीं शरद ऋतु में मनाया जाता है। विदेशों में होली मनाने का अनोखा रंग ढंग है।
चीन में होली का उत्सव पूर 15 दिन तक ‘च्वेजे’ नाम से मनाया जाता हैं। लोग आग जलाकर उसकी पूजा करते हैं। एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हुए आपस में गले मिलते हैं और रंग डालते हैं। शाम को नाच-गान का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस अवसर पर लोगों द्वारा आग के रोमांचकारी खेल का प्रदर्शन भी किया जाता है।
अमेरिका में 31 अक्टूबर को ‘हेलोबीन’ नामक उत्सव पर रंगों का प्रयोग बहुतायत में किया जाता है। वहां विशाल आमसभा होती है जिसमें लोग विचित्र प्रकार की वेशभूषा में आते हैं और पागलों जैसी हरकते करते हैं। इन विचित्र पोशाकों को धारण करने वाले व्यक्ति ‘होबो’ नाम से जाने जाते हैं। इस अवसर पर होबो अपने चेहरों पर खूब गहरा रंग मलते हैं। सर्वाधिक बेहूदगी करने वाले होबो को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया जाता है। थाईलैंड में अप्रैल में ‘सांगकान’ उत्सव होली के रूप में मनाया जाता हैं। लोग सुबह उठकर भगवान बुद्ध की पूजा-अर्चना करते हैं। बाद में रिश्तेदारों और मित्रों के घर जाकर एक दूसरे पर रंग डालते हैं। थाईलेण्डवासी इस पर्व पर मठों मे जाकर गरीबों को दान भी देते हैं।
इंगलैण्ड में होलिकोत्सव ‘गाई फॉक्स डे’ के नाम से प्रतिवर्ष 5 नवम्बर के दिन मनाया जाता है। इस दिन वहां पुराना काठ-कबाड़ जलाया जाता है। इस होली को वहां ‘बान फायर’ के नाम से जाना जाता है। लोग इस अवसर पर खूब शोरगुल मचाते हैं ।
जर्मनी में ईस्टर के समय ही होली की तरह दो लकड़ी की बल्लियां लेकर जमीन में गाड़ देते हैं और रात में इनको जलाकर इसकी कालिख शरीर पर एक दूसरे को लगाते हैं।
बोहेमिया में होली के दिन नवयुवक ठेलों में बैठकर घर-घर से लकड़ियां एकत्र करते हैं और फिर रात्रि में इन्हे जला दिया जाता है। होलिका दहन के समय वहां खड़े युवक व युवतियां उसे मालाएं चढ़ाते हैं।
आयरलैण्ड में तो क्रिसमस के दिन होलिकोत्सव मनाया जाता है। वहां के लोग बड़े प्याले में शराब भरकर दोस्तों, रिश्तेदारों के घर जाते हैं, उन्हें प्याले की शराब पिलाते हैं और खाली हुए प्याले में उस घर से शराब डलवायी जाती है तथा लोग जूलूस के साथ नाचते-गाते शामिल हो जाते हैं।
चेकोस्लोवाकिया में यह त्योहार ‘बोलिया कनोन्से’ कहलाता है। यहां भी लोग आपस में रंग-गुलाल मलते हैं और खुशी से झूमते-नाचते गाते हैं। इस अवसर पर वहां विशेष प्रकार की घास के बने गहने भेंट करने की प्रथा है।
स्पेन में होली का पर्व सेंट जॉनस ईव में मनाते हैं। इस अवसर पर वहां के निवासी अपना पुराना सामान जलाते हैं। बच्चे पटाखे छोड़ते हैं। मिश्र में होली उत्सव ‘फलिका’ के नाम से प्रसिद्ध है। यहां पर नई फसल के आगमन की खुशी में रंगों का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है।
स्वीडन में सेंट जॉन का पवित्र दिन होली दिवस के रूप में मनाया जाता है। शाम को किसी ऊँचे स्थान या पहाड़ी पर होली जलाकर उसे लांघते हैं । यहां एक दूसरे पर फूल बरसाने की परम्परा भी प्रचलित है। इस दिन स्त्रियां अपने सिर पर मोमबित्तयां बांधती हैं और पुरुष उनके पीछे चलते रहते हैं। बच्चे सड़कों पर पटाखें छोड़ते हैं। लोग होली के चारों तरफ चक्कर लगाकर झूमकर नाचते कूदते गाते हैं।
ग्रीस में होलिकोत्सव को प्रेम की देवी फेमिना के दिन के रूप में मनाया जाता है। स्ति्रयां बाग-बगीचों में झूले डालकर झूलती हैं और एक दूसरे पर फूलो के रंग बरसाती हैं।
श्रीलंका में होली का त्योहार भारत की तरह ही हर्षोल्लास व उमग के साथ मनाया जाता है । लंका निवासी इस पर्व पर रात्रि में होली का दहन करते हैं तथा एक-दूसरे पर रंग-गुलाल डालकर परस्पर गले मिलते हैं।
ईटली में होली जलाकर लोग रात भर नाचते गाते हैं। अन्न की देवी फ्लोरा से अगले साल की खुशी के लिए दुआ मांगते हैं। इस पर्व को वहां पर ‘रेडिका’ नाम से मनाया जाता है। भारतीय होली की विश्व भर में कई-कई नामों से धूम है जो हमारी अर्वाचीन परंपरा के वैश्वीकरण का सटीक बखान करती है।
अनिता महेचा