सूचना का अधिकार अधिनियम पर संगोष्ठी
Udaipur. मुख्य सूचना आयुक्त टी. श्रीनिवासन ने कहा कि सूचना उपलब्ध कराने व समस्या के निराकरण में अंतर है। उनका विभाग सूचना उपलब्ध नहीं कराने, सूचना छिपाने, गलत सूचना देने, सूचना देने से मना करने पर दण्डात्मक कार्यवाही कर सकता है। सरकारी रिकार्ड का निरीक्षण किये जाने की व्यवस्था भी इस अधिनियम के तहत उपलब्ध है।
वे यहां उदयपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री की ओर से चैम्बर भवन में ‘सूचना का अधिकार अधिनियम‘ पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्हों ने बताया कि सभी सरकारी विभागों में आमजन को वांछित सूचना उपलब्ध कराने हेतु सूचना अधिकारी की प्रतिनियुक्ति की गई है। देष की प्रतिरक्षा सेवाओं, गुप्तचर सेवाओं आदि को इस अधिनियम की सीमा से बाहर रखा गया है। अपील की सुनवाई के दौरान मुख्य सूचना आयुक्त के निर्णय के खिलाफ आगे अपील नहीं की जा सकती है। विभाग के सूचना अधिकारी को सूचना प्रदान नही किये जाने का दोषी ठहराये जाने तथा दण्ड स्वरूप उस पर जुर्माना तय किये जाने का अधिकार भी मुख्य सूचना आुयक्त को है। इस अधिनियम में प्रेस व मीडिया भी सम्मिलित किये गये हैं।
चैम्बर के सदस्यों ने अपनी अपनी समस्याएं बताई कि कई विभागों से उनके जानकारी चाहने के बावजूद उन्हें वांछित सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराई गई। मानद कोषाध्यक्ष जी. एस. सिसोदिया, सुनिल हिंगड़, शेखर पालीवाल, भंवरलाल पोखरना, अरुण चौबीसा आदि ने भी उप वन संरक्षक उदयपुर (दक्षिण) से सूचना का अधिकार के तहत सूचना चाही, जो उन्हें अब तक मुहैया नहीं कराई गई। ऐसे ही अन्य कई प्रार्थियों प्रमोद झंवर, डॉ. धर्मेश जैन, डॉ. एस. बी. लाल, ओकारलाल मेवाडा, डॉ. पंकज पोरवाल, राजेन्द्र सिंह चौहान आदि ने भी कुछ ऐसी ही शिकायत की। इन्होंकने बताया कि दी गई सूचना में स्पष्टक जानकारी के बजाय असत्य एवं विरोधाभासी सूचना देकर मात्र खाना पूर्ति की जा रही है। चैम्बपर ने आयुक्त से उचित कार्यवाही का आग्रह किया। परिचर्चा में बी. एच. बाफना, सलाहकार के. एस. मोगरा, कोमल कोठारी, विजय गोधा, मनीष गलूण्डिया, प्रशान्त जैन, नक्षत्र तलेसरा, डॉ. निर्मल कुणावत, सिद्धार्थ चतुर, अरविन्द मेहता, डी. सी. अग्रवाल, गिरीश मेहता, पवन तलेसरा, पवन कोठारी सहित कई गणमान्य ने हिस्सा लिया।