Udaipur. समाज सामाजिक सम्बंधों का तानाबाना है। समाज में व्याप्त कुरीतियों को परम्परा का नाम देना बेमानी है, आडम्बर है। वर्तमान परिपेक्ष्य में सामाजिक परम्परायें विकासवादी सोच को तथा नागरिक स्वंतत्रता को बाधित करती है।
ये विचार पीयूसीएल की अध्यक्ष प्रो. जेनब बानू ने यूनेस्को क्लब्स तथा डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्धारा आयोजित यूनेस्को सेमिनार के तीसरे दिन ‘समाज, संस्कृति और रुढि़वादिता‘ विषयक व्याख्यान में व्यक्त किये। स्वैच्छिक सेवा तथा स्वैच्छिक सामाजिक संस्थाओं की भूमिका पर सामाजिक चिन्तक हेमराज भाटी ने कहा कि सेवा एक स्वस्फूर्त जज्बा है यह एक भावना है जिसे समाज में बढा़ये बिना सौहार्द और शान्ती की कल्पना दूर की कौडी़ है।
एडवोकेट प्रहलाद व्यास ने कहा कि स्वैच्छिक सामाजिक सेवा का व्यापार में परिवर्तन एक गंभीर चुनौती हैं? बेतहाशा महंगी होती जा रही शिक्षा व्यवस्था गरीब की पहूंच से दूर हो रही है।
गांधीवादी सुशील दशोरा तथा इस्माईल अली दुर्गा ने कहा कि गांघीवादी मार्ग का अनुसरण ही समाज में सामाजिक समभाव तथा शान्ती ला सकते है। अध्यजक्षता करते हुए ट्रस्ट सचिव नन्दकिशोर शर्मा ने कहा कि समाज मे व्याप्त आपाधापी का माहौल लालच की वृद्धि और असहिष्णुता का परिणाम है। वर्तमान परिदृष्य में हर व्यक्ति, वर्ग को आत्मावलोकन करने की जरुरत है। इसी से समाज में शांति, अहिंसा, सहिष्णुता और सहकार स्थापित हो सकता है। सेवाकार्य को बाजार के भरोसे नहीं छोडा़ जा सकता। बाजार लाभ पर आधारित है जबकि सेवा कार्य भावना पर। यूनेस्को क्लब के कार्यकारी अध्यक्ष श्याम बनवाडी ने बतलाया कि नागालेण्ड, आन्ध्रप्रदेश, मध्यंप्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट व राजस्थान के विभिन्न शहरों से आये यूनेस्को क्लब पदाधिकारियों कस यह सम्मेलन रविवार दिन में होगा। समापन समारोह के मुख्य अतिथि भारतीय प्रशासनिक सेवा के बी. बी. मोहंती होगे। धन्यवाद देते हुए यूनेस्को क्लब के राष्ट्रीय महासचिव घीरेन्द्र भटनागर ने बतलाया कि समापन के अवसर सामाजिक कार्यकर्ता गणेश डागलिया, मुख्तियार सिंह गजल गायक, डॉ. देवेन्द्र सिंह हिरन, यूसीसीआई के रमेश चौधरी, हरिसिंह सुराणा, आयुषी बोल्या तथा दिनेश कटारिया को विशिष्ट सेवा सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।