ग्राम पंचायत स्तर पर समितियों का गठन
Udaipur. प्रतिवर्ष शारदा एक्ट की धज्जियां उड़ाने वाले अक्षय तृतीया (आखा तीज) पर ग्रामीण इलाकों में होने वाले बाल विवाहों को रोकने के लिए प्रशासन ने इस बार कमर कस ली है। जिला प्रशासन ने उपखण्ड अधिकारियों एवं पुलिस अधिकारियों को विशेष सतर्कता बरतते हुए इनकी रोकथाम के निर्देश दिए हैं।
साथ ही ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर संबंधित सरपंच की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति का भी गठन किया गया है जो समझाईश से बाल विवाहों की रोकथाम करेगी तथा इसके दुष्प्रभावों को आमजन तक पहुंचायेगी। जिला मजिस्ट्रे ट विकास एस. भाले ने सभी उपखण्ड मजिस्ट्रेोट, तहसीलदारों एवं शहरी क्षेत्रों में नगर परिषद आयुक्त एवं नगरपालिका के अधिशासी अधिकारियों से कहा कि आखातीज 12 मई को है। लोगों की मान्यता के अनुसार इस अबूझ मुहूर्त पर बडी़ संख्या में लोग बाल विवाह करवाते हैं। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि इसके दुष्प्रभावों की जानकारी आमजन तक पहुंचाकर इस कुप्रथा की रोकथाम में मदद करें। उन्होंने कहा कि बाल विवाह एक सामाजिक बुराई होकर बच्चों व विशेष कर लड़कियों के स्वास्थ्य के प्रति बहुत नुकसानदायक है। कानूनी प्रावधानों के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु की लड़की एवं 21 वर्ष से कम आयु के लड़के का विवाह करना कानूनी अपराध है। बाल विवाह करवाने एवं इसमें सहयोग करने पर संबंधित व्यक्ति पर दो वर्ष का कठोर कारावास तथा एक लाख रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है।
सरपंच की अध्यक्षता में समिति
बाल विवाह की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन ने ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर संबंधित सरपंच की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति गठित की है। इस समिति में संबंधित पटवारी ग्राम सेवक, स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं संबंधित बीट कान्स्टेबल को सम्मिलित किया गया है। यह समिति अपने-अपने प्रभावी क्षेत्रों में भ्रमण करेगी और बाल विवाहों के दुष्प्रभावों की जानकारी देने के साथ होने वाले बाल विवाहों की रोकथाम करेगी।