Udaipur. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को सीबीआई के तुलसी प्रजापति एनकाउंटर मामले में आरोपी बनाने को लेकर न सिर्फ उदयपुर बल्कि पूरे राज्य और देश में उबाल आ गया है। दबी जुबान में इस पूरे खेल के पीछे कहीं वसुंधरा का नाम भी ले रहे हैं।
तुलसी प्रजापति एनकाउंटर में सीबीआई ने भाईसाहब भी धर लिया। चुनावी वर्ष है। हल्ला होना ही है। भाजपा इसे जहां कांग्रेस ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन की कार्रवाई बता रही है वहीं देश की राजधानी में बैठे पत्रकार कटारिया को तो मात्र मोहरा बताते हुए निशाना तो मोदी को बता रहे हैं। कहने वाले यह भी कह रहे हैं कि कहीं यह सब खेल वसुंधरा का तो नहीं..। कटारिया किसी न किसी रूप में वसुंधरा को खटकते तो रहे ही हैं। ये तो चुनावी वर्ष आ गया वरना कटारिया की यात्रा को लेकर वसुंधरा का जयपुर और दिल्ली में किया गया विरोध किसको याद नहीं। यहां तक कि पद को लेकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता तक से इस्तीफे की धमकी देने से भी नहीं चूकीं।
सबसे खास बात यह कि उदयपुर में कटारिया को आरोपी बनाने को लेकर उनके समर्थकों में हताशा थी। उधर कटारिया को आरोपी बनाने के विरोध में सिर्फ ‘’वसुंधरा के समर्थकों’’ ने चेटक सर्किल पर बुधवार रात कांग्रेस का पुतला फूंका और विरोध भी जताया। कटारिया समर्थक इनमें कोई नहीं था। कहने को यह बात यूं भी कही जा रही है कि पार्टी कटारिया के मुद्दे पर एकजुट हो गई है लेकिन राजनीतिक पंडित यह भी मान रहे हैं कि कटारिया को अगर सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया तो न सिर्फ उनका राजनीतिक करियर खत्मन हो जाएगा, वसुंधरा की राह का सबसे बड़ा रोड़ा निकल जाएगा, कांग्रेस की बदनामी का अवसर मिल जाएगा और सबसे बड़ी बात कि कटारिया की गिरफ्तारी की सहानुभूति का लाभ कहीं न कहीं पार्टी को मिल जाएगा। अगर एक आदमी की बलि देने से पार्टी को लाभ मिलता हो तो कौन यह नहीं चाहेगा। बंद के दिन भी यह देखने में आया कि वसुंधरा गुट और कटारिया के धुर विरोधी भी इस बार जोर-शोर से आंदोलन में अगुवाई करते रहे।