Udaipur. सुकुमालनंदी महाराज ने कहा कि जीवन में सुख व शांति कहां है। यदि जीवन में आप सुख एवं शांति चाहते है तो वह ढूंढने से नहीं मिलेगी, यह कहीं मंदिर, गुरुद्वारा, चर्च आदि स्थानों पर नहीं मिलेगी क्योंकि वह हम स्वयं के भीतर छिपी होती है।
वे आज से. 5 स्थित श्री चन्द्रप्रभ दिगम्बर जैन मंदिर में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। एक भक्त गुरु के पास पहुंचा और कहा कि गुरुदेव मैंने मन्दिर बनवाया तो भी मुझे अभी तक शांति नहीं मिली, मैंने बच्चों की शादियां करवा ली तो भी मुझे शांति नहीं मिली, मैं अनेक यात्राएं कर आया तो भी मुझे शांति नहीं मिली, अंतिम राह के रूप में आप दिखाई दिए अब आप मुझे बताए कि मुझे शांति की अनुभूति कहां होगी।
गुरुदेव ने कहा कि तुम यहां से 5 किमी दूर फतहसागर है। वहां पाल से नीचे तीन सीढी उतरना वहां एक मछली नजर आएगी उससे पूछना कि मुझे यह शांति का अनुभव कहां होगा। भक्त एक बार तो आश्चर्य से गहरा गया कि यह गुरुदेव क्या कह रहे हैं। पर गुरु की आज्ञा मानते हुए प्रात:कालीन वेला पर वह वहां गया वहां जाकर मछली से पूछा मुझे शांति का अनुभव करना है। तो मछली ने जवाब दिया कि तुम मेरा एक काम करो मुझे प्यास लगी है, पानी पिला दो वह व्यक्ति यहां भी आश्चर्यचकित हो गया कि मछली पानी में रहते हुए भी प्यासी है, उसने मछली से कहा मुझे शांति चाहिये तो मछली ने कहा कि जिस प्रकार मैं पानी में रहकर प्यासी हूं तुम भी अपने भीतर शांति लिए यहां-वहां उसे ढूंढ रहे हो। शांति तुम्हारी आत्मा के अन्दर है उसमें आत्म चिंतन करो, इसी में शांति की अनभूति होगी।
आचार्य ने बताया कि जल में मीन प्यासी, सुन-सुनकर यह हंसी आएं। तुम जीवन में हर वस्तु खरीद सकते हो परन्तु गुरुओं का सानिध्य प्राप्त करने पर ही आत्म शांति का अनुभव कर सकोगे। मंत्री रमेश जुंसोत ने बताया कि कल प्रात: पंचामृत अभिषेक, वृहद् शांतिधारा होगी। प्रात: 8.30 बजे आचार्य श्री का प्रवचन होगा। अध्यक्ष ओमप्रकाश गोदावत ने बताया कि सायंकालिन आरती आचार्य के निवास स्थान पर रात्रि 8 बजे बजे होगी। सभी कार्यक्रमों में स्थानीय चन्द्रप्रभु महिला मण्डल, आराधना महिला मण्डल एवं चन्द्रप्रभु युवा मंच सक्रिय रुप से उत्साह के साथ भाग ले रहे हैं।