Udaipur. आचार्य सुकुमालनंदी ने कहा कि हम तो ठहर गए है पानी की झील बनकर। नदियां बनते तो कभी के पार हो जाते। तन नहीं छूता कोई चेतन निकल जाने के बाद, फूल फेंक देते हैं, खुशबू निकल जाने के बाद।
वे अपने प्रवास स्थल से शोभायात्रा के साथ श्री चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर, सेक्टर 5 पहुंचे जहां आयोजित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंनने कहा कि जो व्यक्ति वाद-विवाद से हटकर सामंजस्य भाव रखता है, आगे बढ़ता जाता है। वाद-विवाद को जीतना मानव का दिव्य अनुष्ठान है। बुद्धिमान व्यक्ति कभी तर्क में नहीं उलझता, क्योंकि जहां तर्क है वहां नर्क है और जहां समर्पण है वहां स्वर्ग है। आचार्य श्री ने बताया कि भगवान के दरबार में ज्ञानचंद, हुकमचंद और रायचन्द बनकर नहीं जाना चाहिये। इस संसार में कौन सच्चा है कौन झूठा है, भगवान के अलावा कोई नहीं जानता, हमें अपने भाव अच्छे रखने चाहिए। अपने दिल को उदार एवं व्यापक बनाना चाहिए।
मंत्री रमेश जुंसोत ने बताया कि 23 मई को आचार्य के सान्निध्य में सुबह 7 बजे श्री चन्द्रप्रभ दिगम्बर जैन मंदिर सेक्टर 5 में भव्य मूर्ति स्थापना कार्यक्रम एवं शांति विधान का आयोजन होगा। मूर्ति स्थापना एवं शांतिविधान के लिए आचार्य श्री को श्रीफल भेंट किया गया। अध्यक्ष ओमप्रकाश गोदावत ने बताया कि मूर्ति दातार श्री नन्दलालजी सागोटिया के निवास से मूर्ति को लेकर शोभायत्रा प्रारंभ होगी जो हिरणमगरी के विभिन्न मार्गों से होती हुई श्री चन्द्रप्रभ दिगम्बर जैन मन्दिर, सेक्टर 5 में पहुंचेगी जहां मूर्ति की स्थापना, शांतिविधान एवं हवन आदि कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।