Udaipur. भोजन की बर्बादी से प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ता है। इस वर्ष का संयुक्त राष्ट्रा संघ द्वारा पर्यावरण दिवस का ध्येय स्लोगन भोजन बचाओ-पानी बचाओ है। पानी को बचाना है तो हमें अपने भोजन को बचाना होगा।
ये विचार गांधी स्मृति मंदिर में आयोजित बैठक में नंद किशोर शर्मा ने व्यक्त किये। शर्मा ने कहा कि विश्व में उपलब्ध पेयजल का बड़ा हिस्सा सिंचाई में जाता है। गांधी स्मृति मंदिर के सुशील दशोरा ने कहा कि अनाज की सुरक्षा तथा झूठन को रोकने से पानी के संरक्षण को बल मिलता है। उन्होंाने कहा कि प्रतिवर्ष 1.3 बिलियन टन भोज्य पदार्थ विश्व में बर्बाद किये जाते हैं जबकि दुनिया में सात में से एक व्यक्ति भूखा सोता है। झील हितैषी नागरिक मंच के हाजी सरदार मोहम्मद ने कहा कि मंगलवार को विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या को मांझी के मंदिर प्रांगण में झील हितैषी नागरिक मंच, झील संरक्षण समिति, चांदपोल नागरिक समिति, डॉ मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट सहित कई संस्थाओं के साझे जल संरक्षण, झील संरक्षण और भोजन बचाने हेतु जनचेतना के वास्ते संगोष्ठी होगी। हाजी नूर मोहम्मद ने जल संरक्षण और झीलों के प्रति लोक दायित्व को महत्त्व पूर्ण बतलाया। गांधी स्मृति मंदिर में आयोजित बैठक का संयोजन व धन्यवाद राधेश्याम शर्मा ने किया।