Udaipur. यूं तो हम 5 जून को विश्वप पर्यावरण दिवस मना रहे हैं लेकिन शहर की झीलों की हालत के मद्देनजर उदयपुर में विश्व पर्यावरण दिवस की सामयिकता पर झील संरक्षण समिति ने प्रश्न चिह्न लगाए हैं। उधर राजकीय आदर्श आयुर्वेद औषधालय बड़ा बाजार में अरावली में पाई जाने वाली वनौषधियों संबंधित प्रदर्शनी लगाई गई।
झील संरक्षण समिति के अनिल मेहता ने कहा कि जागरूक नागरिकों व मीडिया द्वारा बारम्बार इस समस्या पर जिम्मेदार अधिकारियो का ध्यान आकृष्ट करने के बावजूद इस के सुधार का प्रयास नहीं करना आपराधिक लापरवाही का सूचक है। डॉ. तेज राजदान ने मल मूत्र युक्त पानी को मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बतलाया। चांदपोल नागरिक समिति के तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि पुराना नाव घाट, लालघाट, हनुमान घाट, पंच देवरिया, नागामगरी मस्जिद के सामने, महाराजा घाट, ब्रह्मपोल दरवाजे के अंदर, आम्बापोल पंप हाउस के पास से सीधा सीवरेज पिछोला झील में समाहित हो रहा है। सीवरेज का पंप पिछले दस दिनों से बंद होने से ये नज़ारा बन रहा है। पंप के बंद होने से झील के अंदर पड़ी सीवरेज लाइन भी क्षतिग्रस्त होने की आशंका है। डॉ मोहन सिंह मेहता ट्रस्ट के सचिव नन्द किशोर शर्मा ने कहा की झीलों की मूल समस्या जब सीवरेज का सीधा झील में समाहित होना है जिसे प्रशासन भी जनता है तो फिर झील विकास का मुख्य कार्य सीवरेज को झील में जाने से रोकने का क्यों नहीं बनाया जा रहा है। नितेश सिंह ने कहा की पहली हलकी बारिश में 3 फिट सीसारमा नदी का चलना जल ग्रहण क्षेत्र में जल संरक्षण कार्य के नहीं करने का द्योतक है।
वनौषधियों पर प्रदर्शनी
राजकीय आदर्श आयुर्वेद औषधालय में प्रदर्शनी का उद्घाटन पं. उमेशचन्द्र गौड़ ने किया। आयुर्वेद चिकित्साधिकारी डॉ. शोभालाल औदीच्य ने बताया कि पर्यावरण ही स्वास्थ्य का मूल मंत्र है। यदि पर्यावरण ही नष्ट हो जायेगा तो मनुष्य ही नहीं समस्त प्राणी जगत का जीना दुलर्भ हो जायेगा एवं आयुर्वेद की समस्त औषधि बिना वनस्पति के बनना संभव नही है यदि वनौषधियां ही नही रही तो वह दिन दूर नहीं जब मानव का स्वास्थ्य रक्षण करने हेतु वनौषधियों की कमी हो जायेगी एवं मानव का अस्तित्व संकट में आ जायेगा। प्रदर्शनी में राष्ट्रीय कलाविज्ञ रविन्द्र दायमा, मांगीलाल सुथार, भगवानलाल औदीच्य, प्रदीप आमेटा, जयकिशन चौबे, रूकमणी कलासुआ, अमृतलाल परमार, रामसिंह ठाकुर, गजेन्द्र आमेटा एवं नगर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।