Udaipur. आचार्य सुकुमालनंदी ने कहा कि बेटियां दो परिवारों को पवित्र करती हैं। बेटियां तो इस धरती का गहना हैं। इनके बिना तो धरती शोभायमान नहीं होती। वे अम्बावगढ़ स्थित चन्द्रप्रभु जिनालय में बेटी के जन्म पर नामकरण संस्कार के बाद श्रावकों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जन्मब लेते समय बेटी लक्ष्मी का रूप होती है। बड़ी होने के बाद अच्छी पढ़ाई कर मां-बाप का नाम रोशन करती है। ससुराल जाने पर पति के साथ सास-ससुर की भी सेवा करती है। संतान को जन्म देने पर मां की भूमिका निभाती है। अपनी जिंदगी दूसरों की सेवा में लगाने वाली बेटी ही है। बेटी के जन्मं पर खुशियां मनाएं। बेटे के समान ही लाड़-प्याकर करें।
इससे पूर्व जिनालय में हीरालाल गांधी परिवार द्वारा आचार्य के सान्निध्य में वृहद पंचामृत अभिषेक एवं शाति धारा की गई। परिवार के शरद गांधी ने बताया कि आचार्य के सान्निध्य में सायंकाल आरती, भक्ति संध्या एवं प्रश्न मंच आदि धार्मिक आयोजन हुए। आचार्य ने दोपहर बाद चांदपोल की ओर विहार किया। वहां गृह चैत्यालय में धार्मिक अनुष्ठान में भाग लिया।