Udaipur. महाराणा प्रताप वरिष्ठ नागरिक संस्थान एंव विचार मंच उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में विज्ञान समिति में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता चन्द्रशेखर ने कहा कि महाराणा प्रताप का व्यक्तित्व आज भी देश के हर नागरिक के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।
मध्यकालीन संक्रान्ति के दौर में जब सामाजिक, सांस्कृतिक एंव राजनैतिक दृष्टि से मानव मूल्यों का पराभव हो रहा था उस दौर में प्रताप ने राष्ट्रीय चरित्र प्रस्तुत कर मध्यकाल में एक मील के पत्थर के रूप में दिशासूचक बने। उन्होनें कहा कि प्रताप ने अपनी कथनी-करनी में एकता एंव मानवीय आदर्श मूल्यों का अपने व्यक्तिगत एंव राजनैतिक जीवन में पालन कर मध्यकाल में एक अपवाद के रूप में उभरे।
उन्होंने कहा कि प्रताप, हल्दीघाटी व चेटक ये तीनों स्वाभिमान, पवित्रता एंव स्वामिभक्ति के त्रिवेणी तीर्थ के रूप में आज भी विद्यमान है। भाषाई संघर्ष, संवमवाद, वर्गवाद के दौर में प्रताप की नीतियां व उनका आचरण हमारा मार्गदर्शन कर सकता है। संस्थान के महासचिव भंवर सेठ ने कहा कि मेवाड़ का इतिहास जहां त्याग, बलिदान सेवा, निष्ठा, समर्पण, दान जैसे श्रेष्ठ जीवन मूल्यों की संस्कृति के रूप में आज भी पहचाना जाता है। इस अवसर पर के. एल. कोठारी, दिलीपसिंह राठौड़ प्रेमसिंह शक्तावत व हीरालाल कटारिया ने भी प्रताप के व्यक्तित्व पर विचार रखे। प्रारम्भ में कमला जैन ने ईश वंदना प्रस्तुत की। प्रारम्भ में अध्यक्ष चौसरलाल कच्छारा ने अतिथियों का स्वागत किया।