विद्या भवन पॉलीटेक्निक में विदाई संवाद
Udaipur. राज्य में बेतरतीब व अनियोजित तरिके से खुले कुछ तकनिकी संस्थान रूपये ले कर इंजीनियरिंग डिग्री एवं डिप्लोमा बांट रहे है। अर्द्ध शिक्षित व अकुशल इंजीनियरों से जहां इंजीनियरिंग का सम्मान घट रहा है, वहीं देश के उत्पादन व विकास पर बुरा असर पड़ रहा है।
ये तथ्य विद्या भवन पॉलीटेक्निक महाविद्यालय में अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों एवं विशेषज्ञों के मध्य हुए संवाद में सामने आए। संवाद का आयोजन अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों के विदाई अवसर पर किया गया। वक्ता ओं ने कहा कि ऐसी स्थिति में विद्या भवन पॉलीटेक्निक महाविद्यालय जैसे सत्ताावन वर्ष पुराने संस्थान एवं सम्पूर्ण इंजीनियरिंग समुदाय पर तकनिकी शिक्षा की दशा व दिशा सुधारने की बड़ी जिम्मेदारी है। पूर्व जल अभियंता जी. पी. सोनी ने कहा कि ईमानदारी व तकनीकी दक्षता से ही निर्माण एवं उत्पादन के क्षैत्र में देश विकास कर सकता है। भारत सरकार के पूर्व उप श्रम कल्याण आयुक्त एवं विद्या भवन के एच. आर. अधिकारी जाहिद मोहम्मद ने कहा कि दक्षता हासिल करने के लिये स्वयं की लगन एवं ऐसे मंच व संस्थाओं की आवश्यकता होती है जो लगन को तराश सकें।
प्राचार्य अनिल मेहता ने कहा कि दसवीं के पश्चात एक कुशल इंजीनियर बनाने के लिये जरूरी है कि विद्यार्थियों में सैद्धंान्तिक समझ के साथ – साथ हाथ से काम करने की क्षमता का विकास हो। विभागाध्यक्ष दीपक गुप्ता ने कहा कि तकनिकी शिक्षा में मात्र बारह प्रतिशत युवा ही आ रहे है, लेकिन इन युवाओं को भी प्रशिक्षण की समुचित सुविधाऐं नहीं है। राजकीय पॉलीटेक्निक, नीमराणा के वरिष्ठ प्राध्यापक विनोद कोठारी ने कहा कि विद्या भवन में प्रति 20 विद्यार्थियों पर एक प्राध्यापक का होना व प्रति 10 विद्यार्थियों पर एक संस्था कार्यकर्ता का होना पूरे राज्य के लिये अनुकरणीय है। 100 से 150 विद्यार्थियों की कक्षा में प्रयोगशालाओं में एक विद्यार्थी को सीखने के पूर्ण अवसर प्राप्त नहीं होते है। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने कहा कि नियमित कक्षायें, प्रयोगशाला में कार्य एवं समय प्रबंधन के कारण उनकी क्षमता एवं दक्षता में वृद्धि हुई है। कार्यक्रम के पश्चात अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को प्रतिक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।