Udaipur. उत्तराखंड में हुई त्रासदी से उदयपुर को सबक लेने की जरुरत है। झीलों, नदी-नालों के तंत्र के बीच बने इस शहर में भी अंधाधुंध व अदूरदर्शी कथित विकास से कभी भी तबाही आ सकती है।
यह चिंता डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट एवं झील संरक्षण समिति के साझे में हुई उत्तराखंड के सबक विषयक संवाद में उभरकर आए। संवाद में गांधी मानव कल्याण सोसायटी, चांदपोल नागरिक समिति, पहल संस्थान, ज्वाला जन जाग्रति संस्थान, झील हितैषी नागरिक मंच, कृति सेवा संस्थान, गांधी स्मृति के प्रतिनिधियों ने शिरकत की। डॉ. तेज राजदान ने कहा कि उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर पहाडियों को काट कर मलबा नदी किनारे ही डाल दिया गया। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई तथा नदियों के किनारे बेतरतीब होटलों, गेस्ट हाउस का निर्माण तथा बादल फटने से आये सैलाब ने भूस्खलन किया तथा किनारों पर बनी इमारतों को बहा दिया। उदयपुर में यही सब कुछ किया जा रहा है। यह शहर के लिए विपदा का आमंत्रण है।
विद्या भवन पोलिटेक्निक के प्राचार्य अनिल मेहता ने कहा कि उदयपुर में फ्लैश फ्लड की घटनाएं बढ़ रही है। जलग्रहण क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने से पानी तेजी से बहता है। आयड़ नदी के किनारे व भीतर इमारतें बन रही है। सतोरिया नाले में जल प्रवाह मार्ग अवरुद्ध है। पहाडि़यों में मार्बल स्लरी डंपिंग यार्ड है। बाढ़ को रोकने में मददगार छोटे तालाब नष्ट कर दिए गए हैं। ऐसे में थोड़ी सी तेज वर्षा भी उदयपुर में प्रलय मच सकती है। मेहता ने कहा कि बांधों की मजबूती को मापने की व्यवस्था नहीं है।
प्रारंभ में सचिव नंदकिशोर शर्मा ने कहा कि उत्तराखंड में विनाशकारी विकास से कई गांवों के लोग भूस्खलन से मरते रहे है लेकिन वर्तमान हादसे ने पूरी दुनिया का ध्यान विकास बनाम विनास की तरफ खींचा है। उदयपुर को समय रहते इस पर ध्यान देना चाहिए। चांदपोल नागरिक समिति के तेजशंकर पालीवाल, गांधी मानव सोसायटी के मदन नागदा, ज्वाला जाग्रति संस्था न के भंवरसिंह राजावत तथा पहल की ज्योत्सना झाला ने भी विचार व्याक्त किए। इस अवसर पर उत्तरखंड त्रासदी के गवाह व पीड़ित राकेश झंवर ने बताया कि हर पल और हर तरफ मौत का मंजर था लेकिन सलाम भारतीय सेना को जिसने अपने अथक परिश्रम से हमको बचाया। राकेश झंवर ने कहा की उदयपुर की डिजास्टर प्रबंधन के लोगों को उत्तराखंड जाकर सीखना चाहिए कि जनता को मुश्किल में कैसे बचाए। संवाद में गांधी स्मृति के सुशील दशोरा, नागरिक मंच के सोहनलाल तम्बोली, गोवार्दन सिंह झाला, हाजी सरदार मोहम्मद, हाजी नूर मोहम्मद कमलेश पुरोहित, सत्यपालसिंह, ए ए खान लीला ओझा, नितेश सिंह सहित कई नागरिकों ने विचार व्यक्त किये।