Udaipur. एनएलसीपी के तहत पीछोला झील को छोटा कर रिंग रोड बनाने के प्रयास कहीं शहर को बाढ़ की विभीषिका में न धकेल दें। पीछोला को छोटा होने से रोकना होगा। ये आशंका झील संरक्षण समिति के सदस्यों की है जिन्होंने डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्टल की ओर से बाढ़ नियंत्रण और हमारा शहर विषयक संवाद में व्यक्त किए।
झील संरक्षण समिति के सचिव डॉ. तेज राजदान ने कहा कि अत्यधिक पानी आने की अवस्था में रिंग रोड के कारण पानी का फैलाव नहीं हो सकेगा तथा ज्यादा पानी छोड़ना होगा जिससे शहर में जलभराव की स्थिति भयावह हो सकती है।
विद्या भवन पोलिटेक्निक के प्राचार्य और जल विज्ञानी अनिल मेहता ने कहा कि आयड़ नदी कई जगह निर्माणों के कारण संकड़ी हो गयी है ज्यादा वर्षा और बाढ़ के दौरान पानी को फैलाव नहीं मिलने से उसकी गति बढ़ेगी जिससे जान माल की हानि होगी। संकट काल में शहर की जलनिकासी के मार्ग को भी अवरोध रहित बनाये जाने की जरुरत है।
अध्यक्षता करते हुए चांदपोल नागरिक समिति के तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि शहर भर की सारी नालियों एवं सीवर में बेतहाशा प्लास्टिक की थेलियां होना दुर्भाग्यपूर्ण है। शहर में जगह-जगह जलभराव होने का मुख्य कारक पॉलीथिन की थैलियां हैं। राजस्थान सरकार द्वारा प्रतिबंधित होने के बावजूद इसका यत्र-तत्र पाया जाना प्रशासनिक मिलीभगत दिखाता है। अत्यधिक वर्षा होने में जलभराव का यह मूल कारण होगा।
पर्यावरण प्रेमी इंदुशेखर व्यास ने कहा कि बाढ़ नियंत्रण में जंगलो की पेड़-पौधों की महत्वपूर्ण भूमिका है। एनएलसीपी के अंतर्गत कैचमेंट की पहाडियों पर सघन वृक्षारोपण ही बाढ़ और झीलों को लम्बी उम्र देगा। इस अवसर पर झील हितेषी नागरिक मंच के सरदार मोहम्मद, पहल संस्थान की ज्योत्सना झाला ने झील में मोटर बोट को पर्यावरण की दृष्टि से अनुचित बतलाया। मत्स्य विज्ञानी इस्माइल अली दुर्गा, गांधी स्मृति के कार्यकारी अध्यक्ष सुशील दशोरा, एडवोकेट नीलाक्ष द्विवेदी , बसंतीलाल कुकड़ा, हाजी नूर मोहम्मद आदि ने भी विचार व्यक्त किये। संवाद का संयोजन ट्रस्ट सचिव नन्द किशोर शर्मा ने किया।