स्वराज यूनिवर्सिटी है या अजूबा
स्वरचित शिक्षा विषयक तीन दिनी कार्यशाला 3 अगस्त से
Udaipur. स्वराज यूनिवर्सिटी की ओर से स्वरचित शिक्षा विषयक तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 3 अगस्त से नयाखेड़ा स्थित तपोवन आश्रम में किया जाएगा। इसमें स्वरचित शिक्षा के आयामों पर चर्चा की जाएगी।
इसमें उम्र की सीमा 18 से 30 वर्ष की है। यहां इसमें कोई भी खोजी (विद्यार्थी) भाग ले सकता है। यहां विद्यार्थी को खोजी कहा जाता है। यूनिवर्सिटी का मकसद अपने सपनों को जी पाना और उसे किसी ठोस आधार में परिवर्तित करना है। साथ ही शिक्षा, प्रकृति और जीवन के गहरे रिश्ते को समझने का एक प्रयास है।
इसमें अब तक करीब 51 खोजी जुड़ चुके हैं। आम स्कूलों की तरह यहां कोई तय पाठ्यक्रम नहीं थोपा जाता बल्कि खोजी को अपनी शिक्षा का जिम्मा खुद अपने हाथ में लेना होता है। यहां के गुरु शिक्षा क्षेत्र खोजने से लेकर अंत तक साथ निभाते हैं। शिक्षण की प्रक्रिया और पाठ्यचर्या तक भी खोजी खुद ही तय करता है। इन विषयों में फिल्म मेकिंग, फोटोग्राफी, स्वउपचार, कुकिंग, थिएटर, कबाड़ से जुगाड़, लेखन, पर्यावरण संरक्षण आदि शामिल है।
तिनका
यहां के खोजी सचिन, रितेश, अविरल और स्वराज के ही एक मित्र विशाल ने मिलकर अपने सपनों को तिनका नामक संगठन का रूप दिया जो कबाड़ से जुगाड़ की कलाकृतियां बाजार में विक्रय करते हैं। यहां के एक अन्य खोजी रवि कहते हैं कि रेलवे स्टेशन, सड़कों पर घूमते बच्चों को देखकर मन करता था कि कुछ ऐसा करुं कि ये भी खुद का जीवन यापन कर सकें। बड़गांव में रवि ने पांच माह पूर्व उड़ान नामक केन्द्र की स्थापना की जहां बच्चे जीवन यापन के गुर, कबाड़ से जुगाड़ तथा समुदाय में रिश्तों को मजबूत करना सीखते हैं। हाल ही में हुई एक खोजी मीट में 10 खोजियों ने मिलकर सआदत हसन मंटो के कुछ स्केचेस पर 22 मिनट का एक नाटक तैयार किया। साथ ही मीट में स्टोरी टेलिंग, सोलर कूकर बनाना, नृत्य के अलग अलग तरीके सीखना आदि भी मुख्य रहा।