प्रबन्ध में नैतिकता एवं भारतीय लोकाचार पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
Udaipur. चिन्मय मिशन के स्वामी चिद्रूपानन्द ने कहा कि कॅरियर का लक्ष्य मात्र नौकरी द्वारा भौतिक समृद्धि का अर्जन नहीं वरन् स्वयं को, परिवार, समाज, राष्ट्र एवं मानवता हेतु एक अमूल्य निधि के रूप में स्थापित करना है।
वे यहां पेसिफिक विश्वविद्यालय के प्रबन्ध अध्ययन संकाय द्वारा ’प्रबन्ध में नैतिकता एवं भारतीय लोकाचार’ पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने नैतिकता को लोकाचार का बाह्म रूप बताते हुए उन्होंने कार्य जीवन के विभिन्न स्तरों पर चर्चा की एवं सभी को अपने कॅरियर को राष्ट्र उत्थान हेतु उन्नत करने की प्रेरणा दी। महाभारत एवं उपनिषदों में स्थापित ज्ञान को नैतिकता एवं व्यापार के परिपेक्ष्य में सिद्ध किया।
अध्यक्षता करते हुए बीएसएल समूह के अध्यक्ष एल. एन. झुन्झुनवाला ने प्रबन्धन में नैतिकता के पालन को एक अत्यन्त दुर्गम परन्तु भविष्य में उद्योग तथा राष्ट्र के लिए हितकारी बताया। औद्योगिक अनुभव के साथ उन्होंने राष्ट्रीय औद्योगिक समूहों द्वारा नैतिकता पालन को उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत किया। संगोष्ठी में पेसिफिक युनिवर्सिटी के चेयरपर्सन बी. आर. अग्रवाल ने देश के विभिन्न भागों से काफी बड़ी संख्या में आये विषय विशेषज्ञों एवं शोधार्थियों का स्वागत किया। पेसिफिक विश्वविद्यालय के प्रो. प्रेसिडेन्ट प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने भारतीय इतिहास में विदित विभिन्न उदाहरणों से हमारी संस्कृति के समृद्धशाली होने का बोध कराया। पेसिफिक विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा एवं राष्ट्रीय उत्थान के क्षेत्र में किये जा रहे निरन्तर प्रयासों में इस संगोष्ठी को एक महत्वपूर्ण सीढ़ी बताया। समसामयिक मुद्दों के साथ-साथ विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को लोकाचार एवं नैतिकता के व्यवहारिक पक्ष से अवगत करवाया।
मुख्य समन्वयक भारतीय संस्कृति एवं उत्थान न्यास, नई दिल्ली के सचिव अतुल कोठारी ने राष्ट्र में नैतिकता एवं बालकों के सम्पूर्ण विकास हेतु पेसिफिक के राष्ट्रीय कार्यकारी समूह के साथ योगदान को महत्वपूर्ण बताते हुये संगोष्ठी में उपस्थित सभी महानुभवों को शुभकामनायें दी। कार्यक्रम की जानकारी देते हुये संगोष्ठी के आयोजन सचिव डॉ़ पुष्पकान्त शाकद्वीपी ने बताया कि पहले दिन दो टेक्निकल सत्र हुये एवं दिनांक 28 जुलाई, 2013 को इसी श्रृंखला में तीन टेक्निकल सत्रों का संचालन किया जाएगा। धन्यवाद संगोष्ठी की संयोजक प्रो. हर्षिता श्रीमाली ने दिया।