जिन बातों का हमारे वर्तमान और भावी जीवन के लिए कोई मूल्य नहीं है उन सभी बातों को दिमाग से बाहर निकाल फेंकना चाहिए। अपने जीवन के लिए अनुपयोगी बातों और वस्तुओं को अपने पास बनाए रखना बुजुर्गियत लाता है, जिन्दगी को बोझिल बनाता है और ताजगी से वंचित रखता है।
जो बातें हमारे काम की नहीं हैं उन्हें न याद रखें और न ही बार-बार इनका जिक्र करें। पुरानी और बिना काम की बातों का स्मरण करना, दोहराना और अभिव्यक्त करना व्यक्तित्व की कमजोरी में गिना जाता है और ऎसे लोगों के जीवन की रफ्तार थमी सी रहती है।
हमारे कई मित्रों, परिचितों और आस-पास के लोगों को देख लें अथवा अपने क्षेत्र के लोगों को, कई सारे लोग ऎसे हैं जो जब कहीं मिलेंगे, जाने कितने साल पुरानी बातों का ही रोना रोते रहेंगे। ऎसे लोग उन सभी बातों का स्मरण कराते रहते हैं जो न उनके काम की होती हैं, न हमारे काम की। उलटे उनकी बेहूदा और अनुपयोगी बातों को सुनकर समय नष्ट होता है और खिन्नता का अहसास होता है।
वे सारे लोग जो पुरानी बातों को अक्षरशः याद रखते हैं उनके प्रति उनके मित्रों-परिचितों या संपर्कितों के भाव अच्छे नहीं होते हैं। ऎसे लोगों से उनके मित्र दूरी बनाए रखते हैं व इन्हें आदर-सम्मान देने से कतराते हैं क्योंकि ऎसे लोगों के बारे में यह आम धारणा पनप जाती है कि पुरानी बातें करने वाले जो-जो लोग उनसे मिला करते हैं वे कोई नई बात या अच्छी बात नहीं कह पाते बल्कि ऎसी ही बातें करेंगे जिनसे सामने वालों को बीते समय की नकारात्मक बातें ही याद आकर मन व्यथित और दुःखी होकर विषाद से भर जाता है।
पुरानी बातें करने वाले लोगों को लगता है कि जैसे बरसों पुरानी बातों को पूरी तरह याद रखकर तथा बरसों बाद उसी तरह परोस कर वे अपनी अप्रतिम मेधा एवं विलक्षण स्मरण शक्ति का परिचय देकर सामने वालों को आश्चर्यचकित ही कर दिया करते हैं।
असल में पुराने दिनों की बातों को याद रखने वाले समाज के वे कूड़ादान होते हैं जो जाने कितने बरसों का कचरा अपने छोटे से दिमाग में कितने सलीके से संभाल कर रखते हैं और मौके-बेमौके परोसकर गर्व तथा गौरव का अहसास करते हैं।
समाज के ऎसे कूड़ादानों को कोई कितना ही समझाने की कोशिश करें मगर उन्हें हमेशा यही लगता है कि उनका दिमाग उस बैंक की तरह है जो अपने इलाके की सर्वाधिक धनाढ्य और मशहूर है। आजकल ऎसे लोग हर गली-चौराहे और दुकान-दफ्तर में होते ही हैं जो पुराने दिनों और पुरानी बातों का स्मरण करते-कराते हुए पूरी जिन्दगी ऎसे ही गुजार देते हैं और एक दिन वे भी पुराने दिनों के इतिहास में खो जाते हैं। एक आम आदमी के लिए सामान्य एवं स्वाभाविक मानी जाने वाली इस बुराई को समाप्त किए बगैर जीवन में न ताजगी का अनुभव किया जा सकता है, न ही तरक्की का।
जिन लोगों को हमेशा मस्ती के साथ ताजातरीन जिन्दगी का मजा लेना हो, उन्हें चाहिए कि वे बीतें दिनों और उन पुरानी बातों की चर्चा कभी न करें, जिनका किसी के लिए कोई उपयोग नहीं है। बीते दिनों के अच्छे अनुभव और सीख की चर्चा करने, सकारात्मक विचारों की अभिव्यक्ति और रचनात्मक कर्मयोग के दोहराव में कहीं कोई बुराई नहीं है।
– डॉ. दीपक आचार्य