Udaipur. एक अठारह वर्षीया युवती ने अपने पिता को कंधा देकर बेटा न होने की पूर्ति की वहीं बेटी होने का पूरा फर्ज निभाया। अंतिम संस्कार के समय आंखें भले नम थी लेकिन कुछ कर गुजरने की एक दृढ़ता भी उनमें दिख रही थी।
बात पीछोली निवासी गुंजन राठौड़ की है जिसने अपने 50 वर्षीय पेशे से ऑटो चालक अशोकसिंह राठौड़ की बुधवार मध्यरात्रि देहांत के बाद गुरुवार सुबह न सिर्फ कंधा दिया बल्कि श्मशान में उनकी चिता को मुखाग्नि भी दी। राठौड़ कैंसर से पीडि़त थे। उनके परिवार में गुंजन अकेली संतान है।