udaipur. श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा तेरापंथ भवन, अणुव्रत चौक में चल रहे पर्यूषण पर्व के आठवें दिन संवत्सरी महापर्व पर श्रावकों को संबोधित करते हुए शासन श्री रविन्द्र मुनि ने तिर्यंच गति एवं नरक गति को अशुभ तथा मनुष्य गति एवं देव गति को शुभ बताया। उन्होंने आज श्रावक-श्राविकाओं को चंदनबाला का पूर्ण वृतांत का श्रवण कराते हुए ऋजुबालिका नदी के नट पर भगवान महावीर के केवल्य ज्ञान का सुंदर वर्णन भी किया।
केवल्य कल्याणक को देवताओं ने भी हर्षोल्लास से मनाया। उन्होंने कहा कि संवत्सरी महापर्व आत्म निरीक्षण का पर्व है। श्रावक-श्राविकाएं गत वर्ष में किए गए कार्यों का आत्मावलोकन करें तथा प्रतिक्रमण के अवसर पर गत वर्ष में आई राग-द्वेष ग्रंथि को समाप्त करें।
तपो मूर्ति मुनि पृथ्वीराज जी ने प्रवचनों के दौरान श्रावको को मंगल पाथेय देते हुए कहा कि हम जिस रोज अपनी आत्मा के निकट रहते हैं तब पर्यूषण पर्व मनाया जाता हैं। पर्यूषण के आठ दिन एक साधना है, यज्ञ हैं। उन्होंने संवत्सरी महापर्व की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि संवत्सरी यानि 12 महीनों का एक दिन। संवत्सरी प्रेरणा देता है कि 12 महीनों में जो भी गलतियां की हैं, जो भी परिवर्तन हुए हैं उन्हें दूर करे। उन्होंने गणधर एवं आचार्य परम्परा की भी विस्तृत विवेचना की। प्रवचनों की श्रृंखला में मुनि दिनकर एवं मुनि शान्तिप्रिय ने भी अपने प्रवचनों की रसधारा से श्रावकों को लाभान्वित किया।
संवत्सरी महापर्व पर सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत, युवक परिषद के अध्यक्ष धीरेन्द्र मेहता, महिला मण्डल अध्यक्षा मंजु चौधरी, अणुव्रत समिति अध्यक्ष गणेश डागलिया एवं प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष निर्मल कुणावत ने भी विचार व्यक्त किये।
सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने तीस से अधिक श्रावक-श्राविकाओं जिन्होने आठ से अधिक तपस्या की उन्हे आध्यात्मिक मंगलकामनाएं प्रदान की। फत्तावत ने बताया कि पांच हजार से अधिक श्रावकों ने पूर्ण निराहार रहकर उपवास किये, कल सुबह सामूहिक रूप से खमत खामणा (क्षमा याचना) कर अपनी तपस्याओं का पारणा करेंगे। इससे पूर्व महिला मण्डल की शशि चव्हाण, नीता खोखावत, पायल चपलोत, सोनल सिंघवी, मोनिका कोठारी, सीमा कच्छारा, मंजू फत्तावत ने मंगला चरण प्रस्तुत किया।