जलवायु परिवर्तन, टिकाउ विकास तथा आपदा प्रबंधन पर पांच दिवसीय कार्यशाला
Udaipur. टिकाऊ एवं दूरगामी विकास तथा आपदाओं को टालने एवं निपटने के लिए पर्यावरण अनुकूल तकनीकों का विकास करना जरूरी है। इसके लिए मिट्टी, पानी, हवा, वनस्पति, चट्टान व जीवों के परस्पर संबंध एवं विज्ञान को समझना जरूरी है।
आपदा प्रबंधन स्कूली स्तर से लेकर महाविद्यालय, विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए। यह अनुशंसाएं राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, चण्डीगढ़ एवं विद्या भवन पॉलिटेक्निक के तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला में की गई।
कार्यशाला में सरोवर विज्ञानी डा. एल.एल. शर्मा ने झीलों के संरक्षण, प्रदूषण की स्थिति पर जानकारी दी। वन संरक्षक डा. सतीश शर्मा ने जैव विविधता संरक्षण को टिकाऊ विकास एवं आपदा प्रबंधन के लिए सर्वाधिक जरूरी कार्य बताया। सीटीएई के प्रो. पी. के. सिंह ने जलग्रहण क्षेत्र विकास की विभिन्न तकनीकों से अवगत कराया।
पॉलीटेक्निक प्राचार्य अनिल मेहता ने अस्वच्छ जल एवं सीवरेज के आधे-अधूरे व अपूर्ण निस्तारण को मानव समाज की सबसे बडी आपदा बताया। महेश गढवाल ने वर्षाजल संरक्षण की तकनीको की स्थापना के तरीको से अवगत कराया, अलर्ट संस्थान के जितेन्द्र मेहता एवं दर्पण कुमार ने प्रतिभागियों को गोगुन्दा के वागडा़ जलग्रहण क्षेत्र में ले जाकर प्रायोगिक व जमीनी कार्यों से अवगत कराया।
नाइटर चण्डीगढ के प्रो. यू एन. रॉय ने उतराखण्ड त्रासदी एवं विभिन्न शहरों में ड्रेनेज की समुचित व्यवस्था नही होने से जल भराव की समस्या के बारे में बताया तथा इनसे निपटने के तौर तरीकों पर चर्चा की। विद्या भवन सोसायटी के व्यवस्था सचिव एस.पी.गौड तथा प्रो. अरूण चतुर्वेदी ने कहा कि सामाजिक व पर्यावरणीय यथार्थों को समझे बिना कोई तकनीकी सफल नही हो सकती। दिल्ली के वी. के. तिवारी, राजेन्द्र प्रसाद भारद्वाज ने कहा कि महानगरो में जिस तरह से बडे पैमाने पर प्राकृतिक संसाधनों का अन्धाधुन्ध दोहन हो रहा है। उससे वहा की जीवन की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव आ रहा है।
नारनौल हरियाणा के नरेन्द्र कुमार तथा राजसमंद पॉलीटेक्निक के ललीत रजक ने कहा कि मानव व प्रकृति के बीच बढती हुई दूरी मानव समाज को विनाश की ओर धकेल रही है। कोटा के लालचन्द विश्नोचई तथा चित्तौड़ की अनुपमा अग्रवाल व सुनीता बंसल ने कहा कि जल प्रबन्धन एवं जैव विविधता प्रबन्धन सहित आपदा प्रबन्धन के समस्त कार्यक्रमो में महिलाओं की सहभागिता बढा़नी होगी। कार्यशाला में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व राजस्थान राज्यों से आये प्रतिभागियों ने सहभागिता की।