विद्याभवन पॉलिटेक्निक में इंजीनियरिंग सेमीनार
जीवन गुणवत्ता बढ़ाने के लिए भी स्थानीय व प्रभावी तकनीक जरूरी
Udaipur. रुपए के अवमूल्यन को रोकने, अर्थव्यवस्था की मजबूती एवं जीवन की गुणवत्ता बढा़ने के लिये नवीन, स्थानीय व प्रभावी तकनीकों का संवर्धन जरूरी है। भारत के युवाओं में इस कार्य की असीम क्षमता है। ये विचार विद्याभवन पॉलिटेक्निक में इण्डियन सोसायटी फोर टेक्निकल एज्यूकेशन,, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनीयर्स स्टूडेण्ट चेप्टर तथा पूर्व विद्यार्थी संघ की ओर से आयोजित फ्रूगल इंजीनियरिंग सेमिनार में उभरकर आए।
सेमीनार में चंदन सुथार, अपूर्व कृष्णन, इंद्रजीत सिंह तथा भरत लोहार ने कहा कि कम संसाधनों से अधिक से अधिक लोगों को उत्पादन व सेवाएं मुहैया करवाना फ्रूगल इंजीनियरिंग है। इसमें पर्यावरण की सुरक्षा भी होती है। देसी अर्थव्यवस्था पटरी पर रहती है तथा जीवन स्तर सुधरता है। जेबा खान व भव्या शर्मा ने कहा कि भारतीय महिलाएं घर से लेकर समाज व देश के स्तर पर विभिन्न फ्रूगल तकनीकों पर कार्य कर रही है। घरेलू विभिन्न कार्यों में महिलाऐं अपनी बुद्धि, समझ व संवेदनशीलता से तकनीकी समाधान ढूंढ लेती है। वास्तुविद् बी. एल. मंत्री तथा पूर्व अधीक्षण अभियंता जी. पी. सोनी ने कहा कि तकनीकों के विकास में यह उर्जा की खपत कम हो, यह ध्यान रखना जरूरी है। मंत्री तथा सोनी ने विभिन्न बांधों, भवन, पुलों तथा जलाशयों का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारी पुरानी पीढ़ी की तकनीकी समझ समृद्ध थी।
प्राचार्य अनिल मेहता तथा विभागाध्यक्ष डॉ. दीपक गुप्ता ने देश के विभिन्न हिस्सों में ग्रामीणों, युवाओं, इंजीनियरों, डॉक्टरों द्वारा पारंपरिक ज्ञान एवं विज्ञान के सिद्धांतों के समन्वय से विकसित की जा रही। नवीन लाभदायी तकनीकों से अवगत कराया। मेहता तथा गुप्ता ने पॉलिटेक्निक द्वारा विकसित तकनीकों की भी जानकारी दी। प्राध्यापक नितीन सनाढ़य ने यातायात व अन्य स्त्रोतों में महंगे आयातित डीजल व पेट्रोल के स्थान पर कम उर्जा खपत के संसाधनों के विकास पर प्रकाश डाला। धन्यवाद अमित कुशवाहा ने ज्ञापित किया।