32 उपवासधारी की निकली शोभायात्रा, आज होगा सभी तपस्वियों का सामूहिक पारणा
Udaipur. सर्वऋतुविलास स्थित अन्तर्मना सभागार में श्रद्घालुओं को सम्बोधित करते हुए मुनि प्रसन्न सागर ने कहा कि हमें अपने जीवन को महापुरूषों की वाणी और उनके जीवन दर्शन को समझते हुए अनुसरण करना चाहिये। हमारे यहाँ कई ऋषि, मुनि, सन्त, महापुरूष हुये हैं, जिन्होंने अपने कार्यों से लोगों का उद्घार कर नई दिशा प्रदान की।
पहले वे जिन्होंने अपने विचार दिये हैं। दूसरे वे जिन्होंने विचार के साथ विवेक भी दिया है और तीसरे वे जिन्होंने विचार, विवेक के साथ-साथ आचरण भी दिया हैं। मुनि ने बताया कि तीन चीजें जिन्दगी में बहुत मुश्किल से मिलती है। अच्छी पत्नी, अच्छा पुत्र और अच्छा पड़ोसी। अपनी पत्नी से सब असन्तुष्ट रहते हैं और विचारों का मेल हो जाये, ऐसी पत्नी दुर्लभ होती हैं। आपका पुत्र आज्ञाकारी हो, आपकी आशाओं और आकांक्षाओं पर खरा उतरे, ऐसा पुत्र का होना और भी ज्यादा दुर्लभ होता हैं। अच्छे पड़ोसी का मिलना तो महादुर्लभ होता है। यदि तुम्हारी पुत्री का विवाह हो रहा है और पड़ोसी तुम्हारा दुश्मन हो तो सबसे प्रथम निमन्त्रण और मिठाई पड़ोसी के घर भिजवाना फिर देखना तुम्हारें सारे मांगलिक कार्य और भी मांगलिक हो जाएंगे। इसी तरह जिन्दगी में भगवान और डॉक्टर को कभी नाराज मत करना। भगवान जब रूठ जाते है, तब डॉक्टर के पास जाना पड़ता है और डाक्टर को अगर तुमने नाराज कर दिया तो फिर तुम्हें सीधे भगवान के पास ही जाना पडे़गा। हमारा मन जब अच्छा होता है तो मित्र बहुत अच्छा लगता है, और मन खराब होता है तो मित्र भी दुश्मन नजर आता है।
इसके पूर्व संघस्थ मुनि पियुष सागर ने कहा कि क्षमा जीवन की अमूल्य निधि हैं। करुणा, मैत्री, दया, प्रेम, स्नेह सभी क्षमा के अंग हैं। हमें क्षमा के वास्ताविक रूप को पहचानने की आवश्यकता हैं। पर्यूषण पर्व के 10 दिनों में जिस तरह से आपने अपने जीवन को जप, तप और त्याग से संवार कर आलोकित किया, अभी तक आपसे जो छुट गया है, उसके लिये आज क्षमावाणी पर्व मनाया जाता हैं। हमारे जीवन में जो कुछा घट गया है, जो कुछ रह गया है, जिसकी वजह से मन में थोडी़ सी मलीनता भी आई हो तो हम अन्त:करण से आज सबसे क्षमा मांग कर हमारी भूलों को स्वीकार करें।
32 उपवासधारी की निकली शोभायात्रा
अन्तर्मना रजत वर्षा-योग समिति के प्रचार-प्रसार मंत्री महावीर प्रसाद भाणावत ने बताया कि प्रात: 7.30 बजे 32 उपवास की तप आराधना करने वाली श्रीमती पुष्पादेवी मोहन जी नागदा के निवास स्थान से अन्य दो साधक शीतल जैन और नरेश जैन के साथ सोलह उपवास करने वालों को भी शोभायात्रा के रूप में दिगम्बर जैन मन्दिर सर्वऋतुविलास लाया गया जहां थालोडी़ का कार्य सम्पन्न किया गया।
सभी तपस्वियों का पारणा : शनिवार सुबह 8.30 बजे सभी तपस्वियों का पारणा अन्तर्मना मुनि प्रसन्न सागर द्वारा सर्वऋतु विलास स्थित अन्तर्मना सभागार में कराया जाएगा।