‘पर्यटन और जल का निकट सम्बन्ध’
Udaipur. 27 सितम्बर यानी विश्व पर्यटन दिवस। विश्वा पर्यटन मानचित्र पर लेकसिटी का भी अहम स्थान। विश्वम में सर्वाधिक सुंदर शहरों में अपना नाम दर्ज कराने वाला शहर… लेकिन क्या इस उपलब्धि को हम बरकरार रख पाएंगे, इस पर सोचना होगा।
पर्यटन के साथ जल का अटूट सम्बन्ध है। पिकनिक मनाने भी हम सिर्फ बरसात के सीजन में इसलिए जाते हैं कि पानी आ गया है। ठीक इसी तरह झीलों में पानी आ तो गया है लेकिन उसे सहेजना और वर्ष भर झीलों को भरी रखना भी हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। न सिर्फ विभागों, प्रशासन बल्कि आमजन को। मनाने को सिर्फ फौरी तौर पर पर्यटन दिवस न मनाएं बल्कि सचमुच में पर्यटन की महत्ता को पहचानें। पर्यटन हमारे शहर की जीवन रेखा है। हमारे शहर का गुजारा पर्यटकों पर चलता है। इस अवसर पर राजकीय संग्रहालयों, संरक्षित स्मारकों में कल देसी विदेशी पर्यटकों का प्रवेश निशुल्कस रहेगा। पर्यटन विभाग अपने स्तर पर कुछ कार्यक्रम कर लेगा। आमजन को भी इसमें जुड़ना होगा। इसे एक त्योहार के रूप में लेकर आयोजन करना होगा अन्यथा कहीं हम अपनी लाइफ लाइन से हाथ न धो बैठें।
विश्व पर्यटन दिवस के उपलक्ष्य में पेसिफिक होटल प्रबंधन संस्थान में हुए कार्यक्रम में डॉ. पी. सी. जैन ने कहा कि जहां जल होता है, वहीं पर्यटक आते हैं। पर्यटन और जल का निकट का सम्बवन्धज है। किसी होटल में रहना पड़े और वहां पानी न हो तो हम संभवत: वहां कभी ठहरना पसंद नहीं करेंगे। उन्होंने कार्यशाला में वर्षाजल के दोहन व उपयोग के बारे में विद्यार्थियों को बताया। भवय खमेसरा ने जल की जरूरत पर सीडी शो प्रस्तु्त किया। सभी ने जल बचाओ रे गीत गाया। बाद में संस्थान की निदेशिका प्रियंका अरोड़ा के नेतृत्व में सभी व्याख्याता महेशाश्रम पहुंचे जहां अनाथ बच्चों को उपहार भेंट किए गए।