विजयादशमी विजय की प्रेरणा का उत्सव
आरएसएस का निकला पथ संचलन
Udaipur. संसार में सदैव कमजोर की बली दी जाती है। कोई भी शक्ति सम्पन्न की बली नहीं देता है। बलि बकरे की दी जाती है, शेर की नहीं। राष्ट्र को जीवित रखने के लिए शक्ति की आराधना आवश्यक है। ये विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा विजयादशमी पर रविवार को टाउनहॉल में आयोजित उत्सव में प्रान्त बौद्धिक प्रमुख विश्वजीत ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि विजयदशमी विजय की प्रेरणा का उत्सव है। उन्होंने आगे बताया कि लक्ष्मी व सरस्वती यानी समृद्धि व बुद्धि कितनी ही क्यों न हो, आप शक्ति सम्पन्न नहीं हैं तो कोई नहीं सुनता। विचार अच्छा है, धर्म अच्छा है, आपकी प्रतिष्ठा शक्ति के आधार पर ही होती है, इसलिए हिन्दू समाज को शक्ति सम्पन्न बनना चाहिए। यही साधना संघ कर रहा है। आरम्भ में प्रांत संघचालक डॉ. भगवती प्रसाद शर्मा, विभाग संघचालक गोविन्द सिंह टांक व महानगर संघचालक राजेन्द्र कोठारी व बौद्धिककर्ता विश्वजीत ने शस्त्र पूजन किया।
द्विवेणी संचलन से बना विहंगम दृश्य
विजयादशमी पर पथ संचलन दो स्थानों से प्रारम्भ हुए। निर्धारित मार्ग से समयबद्ध होते हुए सुबह ठीक 10.40 बजे देहलीगेट पर दोनों संचलन का संगम हुआ। संगम होते ही समाजजनों ने जयघोष के साथ संचलन का गर्मजोशी से स्वागत किया।
गुलाबबाग से निकले संचलन को गोविन्द गुरु पथक व नगर निगम प्रांगण से निकले संचलन को विवेकानन्द पथक नाम दिए गए। दोनों संचलनों में 17 वाहिनियां, 3 घोष वाहिनियां व एक ध्वजवाहिनी सम्मिलित थी। संचलन के अंत में संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार एवं माधव सदाशिव राव गोलवकर गुरुजी के चित्रों से सुसज्जित वाहन चल रहे थे। संचलन का समापन नगर निगम प्रांगण में हुआ। नगर निगम प्रांगण में स्वयंसेवकों घोष व दण्ड का प्रदर्शन किया गया। संचलन में कुल 1344 स्वयंसेवकों ने भाग लिया।