पारम्परिक चिकित्सा पद्घति को मिले समुचित संरक्षण
Udaipur. राज्यपाल मार्ग्रेट अल्वा ने कहा कि जनजाति कल्याण के क्षेत्र में हुए कार्यों के संरक्षण की दृष्टि से जनजाति संग्रहालय की स्थापना की जाएगी ताकि इस तबके को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान मिले। उन्होंने कहा कि भारत की सहस्र वर्षों पुरानी पारम्परिक चिकित्सा पद्घति की आज भी विशिष्ट पहचान है। आज पारम्परिक औषध एवं चिकित्सकों (गुणियों) के ज्ञान को अनुसंधान एवं शोध के जरिए संरक्षण प्रदान करने की महती जरूरत है।
वे उदयपुर प्रवास के अंतिम दिन शुक्रवार को टीआरआई सभागार में माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध संस्थान एवं जनजागरण विकास समिति के साझा प्रयासों से आयोजित गुणीजन सम्मेलन एवं रोगोपचार प्रशिक्षण शिविर के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रही थीं। उन्होंने पारम्परिक चिकित्सा पद्घति की प्रासंगिकता का जिक्र करते हुए कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार 80 फीसदी लोग पारंपरिक औषधियों का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने गुणीजन समुदाय से आह्वान किया कि वे अपने ज्ञान को अपने विकास तक सीमित न कर उसे जनहित में उजागर करें, जिससे उस पर पर्याप्त शोध कर चिरस्थायी संरक्षण मिल सके। उन्होंने कहा कि देश के 6 विश्वविद्यालयों का चयन कर शोधार्थियों के माध्यम से पारंपरिक औषधियों के प्रसंस्करण उपयोग एवं चिकित्सा पद्घति पर ठोस कार्यक्रम तैयार किए जायेंगे। गुणीजनों के अनुभव एवं परम्परागत औषधियों से चिकित्सा पद्घति को अर्थोपार्जन से जोडा़ जाना होगा तभी यह पद्घति संरक्षित हो सकेगी और गुणीजन मुख्यधारा में आ सकेंगे।
उन्होंने गुणीजनों को अच्छा प्लेटफॉर्म दिलाने के लिए जनजागरण विकास समिति एवं जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के प्रयासों को सराहा। उन्होंने अन्य स्वंयसेवी संगठनों से भी इस दिशा में सकारात्मक सहयोग करने की अपील की। विषय विशेषज्ञ (बैंगलूर) हरिराम मूर्ति ने बताया कि पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण के लिए अग्रणी गैर सरकारी एवं सामाजिक संगठनों, बुद्घिजीवियों के सहयोग की आवश्यकता जताई। उन्होंने इसके लिए पृथक नीति बनाकर विपणन के पर्याप्त अवसर मुहैया कराने की पुरजोर सिफारिश की। मूर्ति ने इस पर स्लाइड शो भी प्रस्तुत किया। आरंभ में स्वगत उद्बोधन में टीआरआई निदेशक अशोक यादव ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। जन जागरण विकास समिति अध्यक्ष गणेश पुरोहित ने गुणीजन के ज्ञान के दस्तावेजीकरण की आवश्यकता बतायी। आभार डॉ. राकेश दशोरा ने जताया।
गुणियों को प्रमाण पत्र :- राज्यपाल मार्ग्रेट अल्वा ने बतौर गुणीजन सेवाएं देने वाले पॉच जनों प्रतापी, कंकू बाई, शंभूराम, हलुराम एवं बबली देवी को प्रमाण पत्र वितरित किये। राज्यपाल ने कार्यक्रम स्थल पर पारंपरिक औषधियों पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन कर गुणीजन से उसकी उपयोगिता, रोगोपचार विधि आदि पर विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने गुणीजन की हौसला अफजाई भी की और उनके साथ फोटो भी खिंचवाया। इस मौके पर संभागीय आयुक्त डॉ. सुबोध अग्रवाल, राज्यपाल के परिसहाय आनंदवर्धन शुक्ला, उपसचिव (जनजाति विभाग) पूर्णिमा मुण्डेल, अति. आयुक्त (टीएडी) जगमोहन सिंह, अति.जिला कलक्टर नारायण सिंह, राजस संघ के महाप्रबंधक प्रदीप सिंह सांगावत, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हनुमान प्रसाद मीणा सहित टीएडी विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण एवं गुणीजन मौजूद रहे।